हमारे ( Deled ) कोर्स की किताब में “पूस की रात” कहानी थी, तबसे उन्हें पढ़ना शुरू कर दिया “निर्मला” प्रेमचंद की लिखी कई कहानियों में से एक है…
हाल में इसे है पढ़ा है तो समझ आता है कहानीकार या लेखक होने के लिए भारी शब्दों का प्रयोग होना जरूरी नहीं होता बल्कि जज्बातों पर पकड़ अच्छी होनी चाहिए कम, सरल, और सीधी भाषा का प्रयोग करके भी आप अच्छा लिख सकते है बात रही इस उपन्यास की तो “निर्मला” एक साधारण औरत की कहानी है। जिसकी शादी बैरिस्टर बाबू से हो जाती है जिसे अनमेल शादी या दहेज प्रथा पर एक व्यंग के रूप में देखा जा सकता है।
या कहूं तो सौतेली मां बेटे की निश्छल रिश्ते को बड़े ही प्यार से बताया है इन्होंने जिसे समाज या खुद उसका पति भी नहीं समझ पाता
खैर
समय मिले तो पढ़े यह कहानी
“निर्मला”
~मुंशी प्रेमचंद