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Nilesh kumar

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कल्पना कीजिए——–
इस धरती पर मनुष्य जाति से भी विकसित कोई दूसरे ग्रह की जाति हमला कर दे और वो बुद्धि में, बल में, विज्ञान में, तकनीक आदि में आपसे हजार गुना शक्तिशाली हो और आप उनके सामने वैसे ही निरीह और बेबस हो जैसे पशु आपके सामने हैं।
अब वो पूरी मनुष्य जाति को अपने जीभ के स्वाद के लिए वैसे ही काटकर खाने लगे जैसे आप पशुओं को खाते हो।
आपके बच्चों का कोमल मांस उनके रेस्त्रां में ऊंचे दामों पर बिके और आपकी आंखों के सामने आपके बच्चों को काटा जाए।
उनका स्वयं लिखित संविधान हो और उसमें ये प्रावधान हो कि मनुष्य जाति को भोजन के रूप में खाना उनका मूलभूत अधिकार है क्योंकि वो आपसे अधिक विकसित सभ्यता है और उनके संविधान में आपकी जीवेष्णा के प्रति कोई सहानुभूति न हो जैसे मनुष्य निर्मित संविधान में पशुओं के लिए नही है।
वो इस धरती पर मनुष्य जाति को काटने के लिए सुनियोजित आधुनिक बूचड़खाने खोले और मनुष्य के मांस का बन्द डिब्बों में अपने ग्रह पर निर्यात करे और उनके ग्रह के अर्थशास्त्री अपने लैपटॉप पर अंगुली चलाते हुए अखबारों में ये सम्पादकीय लिखे कि इससे हमारी अर्थव्यवस्था व जी डी पी ग्रो हो रही है।
उनके अपने कोई धार्मिक त्यौहार भी हो जहां सामुहिक रूप से मनुष्यों को जंजीरों में जकड़कर उनकी हत्या की जाए और फिर मनुष्य के मांस को एक दूसरे की प्लेट में परोसते हुए, गले मिला जाए व सोशल मीडिया पर मुबारकबाद भी दी जाए।
पूरी मनुष्य जाति पिंजरों में बंद, चुपचाप अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा करें, उसके हाथ पैर बंधे हो और आपको, आपके बच्चों व महिलाओं को सिर्फ इसलिए काटकर खाया जाए कि आप बुद्धि बल में उनसे कमतर हैं।
सोचकर देखिए आपकी आत्मा कांप उठेगी और पूरी मनुष्य जाति निर्लज्जता के साथ, सदियों से पशु जाति के साथ यही करती आ रही है और इस ब्रह्मांड में अगर कोई सबसे अधिक अनैतिक, पापी, बलात्कारी, दुराचारी, निर्लज्ज, लालची, घटिया कोई जाति है तो वो मनुष्य जाति ही है।
इसमें मुझे तो कोई संदेह नही है!🥺