स्त्री कब भाग जाना चाहती हैं ।

मेरे मित्र जो मुझसे पूछते हैं
क्यों फेमिनिस्ट
उन्हें मैं कहना चाहता हूँ कि
पूछना तुम कभी एक स्त्री से की वो अपने जीवन मे कहाँ कहाँ से और क्यों भागना चाहती थी
पहली बार जब किसी स्त्री का शारीरिक शोषण होता है तो वो शायद 3 से 6 साल के बीच की होती है और वो नही जानती की शारिरिक शोषण क्या होता है
जब वो 16-17 साल की होती है तब वो समझ पाती है कि उसके साथ कुछ गलत हुआ था तब वो भागना चाहती है उस स्मृति से
पूछना कभी की कितनी पीड़ादायक होती हैं ये स्मृति
जब घरों में लड़कियों को दरकिनार कर दिया जाता है ये कह कर की तुम यहाँ की नही हो उनके साथ मौलिक भेदभाव किये जाते हैं तब वो भागना चाहती हैं उस घर से भी
जब समाज के सामने पिता की इज्जत बेटी की पीड़ा से बड़ी हो जाती है तो उस परिस्थिति में भी भागना चाहती है एक
जब एक माँ अपनी बेटी को समझाती है कि अगर थोड़ा बहुत सहना पड़े तो सह लेना उस परिस्थिति से भागना चाहती है एक स्त्री
जब परिवार में चल रहे किसी बहस में एक औरत को ये कह कर चुप करदिया जाता है कि औरतों को क्या जरूरत है बोलने की, बुद्धि नाम की कोई चीज़ है कि नही! वहाँ से भाग जाना चाहती है एक स्त्री
और ऐसी बहुत सारी परिस्थितियां हैं जहाँ एक स्त्री हमेशा के लिए भाग जाना चाहती है।

मैं फेमिनिजम को सपोर्ट नहीं करता, और ना ही मैं कोई कट्टर फेमिनिस्ट हूं, बस महिलाओं की रेस्पेक्ट करना चाहिए, इस लाइन को लिखते समय कही भी मैं पुरुषो को नीचा नही दिखा रहा ।
#Respect_Women
✍️…Nilesh

प्यार

आजकल प्यार में पड़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है, उसी तीव्रता से उस प्यार के ख़तम होने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. आज प्यार हुआ, और कल खतम! अब बताइये, प्यार न हुआ, धनिया मिर्ची हो गया। हर सब्ज़ी में डाल दो । मतलब समझे? हम आज कल इतनी जल्दी प्यार में पड़ जाते है कि जब तक उसका एहसास हमें ख़ुशी दे पाए उस से पहले ही दम तोड़ देता हैं।
कुछ साल पीछे अगर जाए, तो सिर्फ ये बताने में की हम पसंद करते है, एक आधा साल तो यूँ ही निकल जाता था, पसंद नापसंद जानते जानते प्यार पनपता था, समय लेता था अपनी जड़ें मज़बूत करने के लिए। मुझे लगता है कि प्यार पहली नज़र में हो ही नहीं सकता, जो पहली नज़र में हो जाए वो बाहरी सुंदरता की तरफ आकर्षण होता हैं, हाँ पर ये ज़रूर है की कई बार ये आकर्षण प्यार की तरफ की पहली सीढ़ी बन जाता है. वो बस स्टॉप खड़े होकर किसी का इंतज़ार करना, और फिर सिर्फ चुप चाप चोरी से सिर्फ देखना, एक लंबा रास्ता होता था, जानने समझने का। शायद यही वजह भी थी की रिश्ते निभाए भी जाते थे और उनमे एक आदर भी होता था एक दूसरे के प्रति और अब, अब तो सुबह प्यार हो जाता है, दोपहर तक उम्र भर निभाने का रिश्ता, शाम तक झगडे और रात होते होते प्यार ख़तम। प्यार सिर्फ ख़तम हो तो भी ठीक है, पर ये प्यार तो नफरत बन जाता है। वही बातें जिनसे प्यार हुआ था, वो बातें अचानक बुरी लगने लग जाती हैं . क्या वाकई प्यार का विपरीत नफरत होता है? क्या जिसे आप अब प्यार नहीं करते या महसूस नहीं करते क्या उनसे इतनी जल्दी नफरत हो जाती है? क्यों उनकी हर बात पर गुस्सा आने लगता है, जैसे , जो तू पसंद तो तेरी हर बात पसंद, जो तुम नहीं पसंद तो तेरा कुछ नहीं पसंद। पर ऐसा नहीं होता है, वास्तविकता में प्यार ख़त्म यानी परवाह ख़तम, फिर सामने कुछ भी हो, आपको कोई फर्क नहीं पड़ता, और अगर फर्क कभी पड़ा ही नहीं तो प्यार कैसा?
प्यार कितना सस्ता हो गया है, जो हम इससे कही भी इस्तेमाल कर लेते है। पहले तो पसंद भी आपकी खुद की होती थी, अब तो हम पसंद भी वो करते है जो दुनिया को अच्छा लगता है। आजकल तो उन्हें भी प्यार हो जाता है जिन्हें इसे लिखना तक नहीं आता। पहले जो प्यार नजरो की उलझने से होता था अब वो व्हात्सप्प और फेसबुक पर लाइक्स और कमेंट्स से होता है। ज़रा सोचिये, झगडे की वजह ये है की तुमने मेरी फोटो पर वो दिल वाला लाईक नहीं बनाया, तुम्हे मुझसे प्यार नहीं हैं। तुमने फेसबुक पर इन अ रिलेशनशिप विथ मी क्यों नहीं डाला हुआ हैं, तुम मुझे दुनिया से छुपा रहे हो और पहले तो जो छुपाया न गया हो दुनिया से वो प्यार ही कहा था। अब कोन समझाए इन लोगो को, मोती की कीमत ही इसलिए है क्युकी वो सीपियो में छुपा सुरक्षित रहता है, अगर रेत के किनारे खाली सीपियों की तरह मिलने लगा तो उसकी कीमत क्या रह जाएगी? प्यार जैसा एहसास समय मांगता है, जब समय होता है तो वो खुद ही सीपी से निकल कल बहार आजाता है। पर समय ही तो नहीं दे रहे इसे हम। मिटटी का बर्तन बनाते वक़्त क्या हम गीली मिटटी में ही उसमे पानी भर देते हैं? नहीं न, तो प्यार को समय क्यों नहीं देते ?लोग कहते है की देश में असहिष्णुता बढ़ रही हैं, देश का तो पता नहीं, पर प्यार में बढ़ ही रही है।
प्यार २ दिन का और उम्मीदे बांधते है उसमे उम्र भर की। और फिर उन उम्मीदों के टूटने की पीड़ा अलग। अरे भई , किसी और पर क्या आरोप लगाओ तुम्हे दुखी करने का जब तुम ही ने किसी से बेफिज़ूल सी उमीदे बांध दी? वैसे भी प्यार का वो वजूद जो बेहद ,बेहिसाब, बेइन्तहा होता था, अब तो दिखता ही नहीं हैं। मजाक बना दिया हैं। मन भर कर बैठे है, और कहते है की मन नहीं भरता।
प्यार को इतना सस्ता मत बनाओ, इसे समझो, पनपने का वक़्त दो, इतनी आसानी से कैसे कोई कह देता है की प्यार हो गया है किसी से? प्यार अपने आप में एक समर्पण मांगता है, ये वो दरिया है जिसमे अच्छे अच्छे डूबते हैं, इसे शब्दों में कैसे सीमित कर सकते है? ये दिनों में कैसे नाप सकते है? प्यार होता तो एक ही बार है, ये सच है, क्यों की जो दूसरी बार होता है उसमे हम पहले की छवि ढूंढते रहते है। मैंने वाकई प्यार को देखा है, समझा हैं, जिन्हें होता है उनकी तकलीफ भी जनता हूँ, अक्सर सुना है की किसी के जाने के बाद से मन का एक कोना खाली सा हो जाता हैं, तो ठीक है न, सब कोने भरे रहेंगे तब भी तो घुटन होती हैं न, उस खाली जगह को भी अपना लो, और सिर्फ उसे भरने के लिए किसी से जुड़कर उसे प्यार का नाम मत दो। समय दो खुद को, और प्यार करो खुद से! एक जंगली फूल, जंगल में कितने आभावो में, मुश्किलों में, बिना रखरखाव भी कैसे खिल उठता है, बस वही, हम खुद में खिलना होगा, दुनिया से अपने हर दर्द तकलीफ से ऊपर उठाना होगा। वैसे भी दुनिया में सिर्फ चमक दिखती है, उसके पीछे का संघर्ष नहीं।
कभी कभी लगता है की प्यार सिर्फ इसीलिए कर रहे है लोग क्युकि दुनिया में सब प्यार करते है ,
प्यार हिस्सा है ज़िन्दगी का, ज़िन्दगी नहीं।
प्यार ज़रूरी है पर अनिवार्य नहीं।
जिस 4 दिन को प्यार की हकीकत समझते है वो भ्रम होता हैं, और फिर उसी भ्रम की मोहजाल में फंस कर हम ज़िन्दगी से निराश हो जाते हैं।
हर वक्त जिन्दगी से गिले शिकवे ठीक नही ,
कभी तो छोड़ दो इन कश्तियाँ को लहेरो के सहारे ।🙏

#Nilesh

मेरी रसमलाई ( एक प्रेम कथा) part 1

जोया – मै तुम्हारे साथ नहीं भाग सकती प्लीज मुझे माफ़ कर दो , मुझे बहुत अफसोस है कि मैंने तुमसे शादी की, प्लीज मुझे माफ़ कर दो , मै मजबूर हूं ।

निलेश – प्लीज जोया ऐसा मत बोलो, तुम ऐसा नहीं कर सकती मेरे साथ ।
मै मर जाऊंगा तुम्हारे बिना ,
प्लीज जोया ऐसा मत करो ।

प्लीज प्लीज प्लीज …
जोया – प्लीज निलेश मुझे माफ़ कर दो । Sorry
कॉल कट गया ।

और अब आखिर हुआ क्या ऐसा जिससे दो प्यार करने वाले आपस में शादी करने के बाद भी न मिल पाए ।
जानने के लिए आगे पढ़ते रहे ।

( पहली बार सैंडल से मार )

बात उस टाइम की है। जब मै 9 th में पढ़ता था। मेरे लाइफ में सब कुछ अच्छा चल रहा था । मुझ में कुछ ज्यादा ही बचपना था, हमेशा खुश रहना, मेरे साथ एक लड़की पढ़ती थी, ओ बचपन से ही मेरी क्लासमेट थी, ओ मुझे बहुत पसंद थी । उसका नाम अमिका था ।
ओ बहुत शरारती थी । इस सब कारण से ओ मुझे बहुत अच्छी लगती थी ।।
उसी वक्त हमारे क्लास में इस कहानी कि हीरोइन की एंट्री हुई ।
नाम ” जोया ” ,
जब मैंने उसे पहली बार देखा था, मेरे दिल को भा गई थी ।
उसकी मासूमियत, उसकी आंखे, उसकी ओठ , बहुत गुलाबी थी ।
ऐसा लगता था, जैसे हूर की परी हो।
ओ क्लास में बहुत कम बोलती और हस्ती थी ।
उसकी इसी मासूमियत पे मेरा दिल आ गया । बट मैंने उससे अपने प्यार को जाहिर ना किया ।
उसी वक्त हमारे कोचिंग के सामने वाली कोचिंग में मेरा चचेरा भाई पढ़ता था ।
ओ जोया को बहुत पसंद करता था , हमारे कोचिंग में ये हल्ला मचा हुआ था , की जोया भी उसको पसंद करती है , ये सुन कर मेरा दिल बैठ सा गया , अब मैं उसे उतना नहीं देखता था ।।
फिर टाइम निकलता गया । कुछ दिन बाद मै कोचिंग में ही था, तो बाहर बहुत हल्ला हो रहा था, की एक लेडिज एक लड़के को सैंडल से मार रही है। मेरे कोचिंग के सब बच्चे बाहर निकले, मै भी निकला, और हा उस टाइम जोया कोचिंग नहीं आई हुई थी ।
जब मै बाहर निकला तो देखा , मेरे चचेरे भाई को जोया की मम्मी सैंडल सैंडल मार रही है । मेरी ये सब देख कर फट सी गई थी ।
फिर सब लोगो ने उसे बचाया, जोया वहीं पे साइड में खरी ये सब देख रही थी। और बहुत डरी सहमी हुई थी ।
मुझे लोगो से पता चला कि मेरा भाई उससे छेड़ – छाड़ करने की कोशिश कर रहा था। इसी कारण लड़की ने अपनी मम्मी को बुला लाई है। मुझे भी ये सुन कर बहुत गुस्सा आया, मैंने अपने भाई से बोलना बंद कर दिया, ।
और फिर सब पहले जैसा चलने लगा ।

अब स्टार्ट होती है ,

मेरी प्रेम कहानी । ( निलेश – जोया )

उस वक्त जोया की 3 बेस्ट मित्र थी , अमीका, नेहा, सोनम !
नेहा मेरे ही घर के पास की थी। मैंने उससे पूछा कि जोया उससे बात करती है क्या , तो वो बोली ,

नेहा – नहीं , ओही उसे बार बार ज़बरदस्ती बात करने को बोलता था , इसी सब से परेशान हो कर ओ अपनी मम्मी को बुला लाई ,

ये सुन कर मेरे दिल को राहत मिली । की चलो अब अपना कुछ हो सकता है ।
फिर सब नॉर्मल हो गया । हम रोज क्लास जाते थे। पढ़ने में बहुत तेज थीं। हम दोनों में कभी बात तो नहीं होती थी , बट ओ मुझसे चिढ़ती बहुत थी, और ऐसा क्यू ओ पता नहीं मुझे ।
ऐसा मैंने उसके दोस्तों के मुंह से सुना था कि ओ तुम्हे देख कर गुस्सा हो जाती है। मैंने पूछा क्यों भाई, ऐसा क्यू ? तो पता चला कि तुम उससे जल्द सर को गणित या कोई और विषय के नोट्स बना कर दिखा देते हो ।
मुझे तो बड़ा अजीब लगा , और मन ही मन खुश भी था , की चलो कुछ तो है।
फिर मैंने उसके तरफ कोचिंग जाना सुरु किया, उसके घर से थोड़े दूर पे एक सर गणित की कोचिंग पढ़ाते थे,।
ओ सर मुझे बहुत पसंद करते थे । तो मै घंटो वहा जाकर पढ़ता था, और उसी सब से वक्त निकाल कर मै और मेरा एक दोस्त विनय रोज जोया के घर के तरफ जाने लगे । उसके घर के तरफ एक आम का बगीचा था । जहा से जोया का घर साफ साफ नज़र आता था । अब मै और विनय घंटो वहा बिताने लगे । रोज 4 से 5 घंटे खड़े होकर , मच्छर कटवा कर टाइम बिताने लगे।
जोया रोज साम को अपने छत पे आती थी , और पढ़ती थी । कभी छत पे इधर से उधर करती थी, मैं उसे सिर्फ देखता रहता था ।
धीरे धीरे उसने भी मुझे नोटिस करना सुरु कर दिया था। फिर क्या था मै और मेरा दोस्त और ज्यादा वक्त निकाल कर वहीं आम के बगीचे में टाइम बिताने लगे । और जोया को देखते रहते थे । इसी तरह वक्त गुजरते गया । लगभग इसी तरह 4 महीने बीत गए , मैंने उसे अभी तक प्रपोज नहीं किया था। बट उसकी आदते मेरी तरफ बार बार देखना, ये सब देख कर लगता था, की वो भी मुझे चाहती हैं ।
इसी बीच में हमारे कोचिंग से सब बच्चे बोध गया घूमने जाने वाले थे , तो मै भी जाने वाला था, और नसीब की बात तो ये थी कि, जोया भी जा रही थी। ये सब सुन कर मेरा दिल बहुत खुश हो गया , मेरे दोस्तो ने मुझसे कहा कि, ये अच्छा मौका का है, उसे प्रपोज कर दो ।
मौका तो बहुत मिला पर मुझसे हिम्मत ना हुई , और बौद्ध गया से बिना प्रपोज किए हुए ही लोट आया ।
फिर 30 दिसम्बर 2012 को मैंने हिम्मत कर के जोया की दोस्त जो मेरे घर के पास रहती थी। उसे मैंने कुछ चॉकलेट दिया और बोला कि जोया को दे देना ।

इतना कर के मै बहुत खुश था , पर ये खुशी मेरी ज्यादा टाइम तक नहीं रही , मुझे पूरा उम्मीद था, की जोया हा बोलेगी, पर ऐसा हुआ नहीं , 31 दिसम्बर को नेहा ने बताया कि ,

(Ye Line viwad purn hai )👇

{ नेहा – जोया ने ये सब लेने से मना कर दिया है।। और ओ तुमसे बात नहीं करना चाहती है ।

मै बहुत उदास हो गया , बहुत रोया ,फिर मेरे दोस्त ने कहा कि हार मत मानो , जोया ने खुद तो तुम्हे ना नहीं कहा होगा, शायद नेहा तुमसे झूठ बोली होगी ।। और सच में नेहा ने झूठ बोला था, उसने जोया को चॉकलेट दिया ही नहीं था, और मुझसे आ कर झूठ बोल दी थी ।}
फिर मैंने अपने दोस्त की बात मान कर पहले की तरह रोज जोया के घर के तरफ जाने लगा ।।
पर अब जोया मुझ पर पहले से ज्यादा ध्यान देती थी ।

हमारे कोचिंग में कभी कभी टेस्ट होता था । तो सभी बच्चे को एक एक बेंच पे अलग अलग बैठाते थे। जिससे कि कोई चोरी ना कर सके । मै और जोया पढ़ने में बहुत तेज थे , इसीलिए क्लास में हम दोनों के नंबर हमेशा अच्छे आते थे ।
एक बार उसी तरह के टेस्ट में जोया मेरे पास वाली बेंच पे बैठी थी । उसे फिजिक्स का एक प्रश्न का उत्तर नहीं आ रहा था , तो उसने मुझ से इशारे में पूछा, ये पहली बार था , जब उसने मुझसे कुछ इशारा किया था, मै तो ये देख कर सातवे आसमान में पहुंच गया था, फिर मैंने अपने आप को कन्ट्रोल कर के उसे इशारे में ही उत्तर बताया।

ओ उत्तर तो समझ गई, पर सर ने मुझे ऐसा करते देख लिया और मुझे दूसरे जगह पे बैठा दिया। मै बहुत खुश था, की कम से कम उसने कुछ तो इशारा किया, फिर इसी तरह हर टेस्ट में ओ कुछ बोलती तो ना थी, पर इशारे इशारे में हम दोनों कुछ प्रश्न के उत्तर आपस में शेयर कर लेते थे । ये बात अब पूरे कोचिंग को पता चल गई थी ।। इसीलिए सर मुझे और उसे क्लास रूम के फर्स्ट और लास्ट बेंच पे बैठाने लगे। फिर हम दोनों में कुछ कुछ इशारे होते रहते थे ।

(मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद का टुकड़ा रहता है )

और मै रोज की तरह शाम में उसके घर के तरफ जाता है था, और उसे देखते रहता था । सब कुछ ऐसे ही चल रहा था, की एक दिन जोया आपने छत पे नहीं आई। मैंने पूरे दिन इंतजार किया पर ओ नहीं आई । अगले दिन सुबह ओ कोचिंग आई , तो उसे देख कर मेरे दिल को सुकून मिला ।
फिर मै उस दिन शाम को उसके घर के तरफ आम के बगीचे में गया , उस दिन वो छत पे आई, पर थोड़ी देर बाद ही , अपने छत पर वाले घर में चली गई । फिर ओ बाहर नहीं आई। मैंने 1 घंटे वहीं उसका इंतजार किया पर ओ नहीं आई, तो मुझसे रहा नहीं गया , मै उसके घर के पास गया , उसके घर के पीछे से एक रास्ता जाता है । तो मै उसी रास्ते से जाने लगा । तो मैंने देखा जोया अपने खिड़की पे आकार पढ़ रही है।। देख कर मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ।
फिर मै अब उसके खिड़की के सामने बैठ कर टाइम बिताने लगा ।
ओ भी रोज शाम वहीं आकार पढ़ती थी । और मै उसी के खिड़की के सामने एक छोटी सी दीवाल थी । उसी पे बैठ कर उसे देखता रहता था। ओ कभी कभी मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा देती थी ,
और मै ये देख कर फुला न समता था । इसी तरह वक्त गुजरता गया, और 7 महीने गुजर गए,

अब वक्त आया उस दिन का जब —?

मै और जोया पहली बार बात करने वाले थे। ओ बात कैसे हुई ओ नीचे पढ़े ।

( Propose With Dehati Style )

और हा हमलोगो का , कोचिंग क्लास खत्म हो चुका था , क्योंकि हुमलोगो का 10 th का एग्जाम होने वाला था । तो जोया दिन भर घर पे ही रहती थी। तो मै अब पूरे दिन उसके घर के तरफ ही रहता था। उसे देखते रहता था।

एक दिन मेरा दोस्त विनय मेरे साथ जोया के घर के तरफ नहीं गया था । उस दिन मै रोज की तरह उस दीवार पे बैठा हुआ था और जोया आपने खिड़की के पढ़ रही थी ।

{ ये घटना 11 मार्च 2013 को हुआ था }

तो एका एक मैंने देखा जोया मेरी तरफ हाथ कर के इशारे कर रही है।। की मेरी खिड़की के पास आओ । पहले तो मेरी फट गई, क्योंकि और सब दिन साथ में विनय रहता था , और आज मै अकेला था, फिर मैंने हिम्मत कर के उसके खिड़की के नीचे गया । पहली बार उसकी आवाज सुनी जिसमे उसने मेरे लिए कुछ बोला हो , आए – हाय , मै तो वैसे ही उसका दीवाना था। उसकी आवाज सुन कर तो मै पागल सा हो गया। फिर उसने पूछा ”

जोया- ” यहां तुम क्या करने आते हो , तुम रोज आते हो, और मुझे देखते रहते हो क्यू ” ?

मै – क्या बोलूं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, तो मैंने बोला सिर्फ तुम्हे देखने आता हूं।।

उसी की घर के सटे एक घर में एक फूल का पेड़ था जिसका फूल घर के बाहर भी आया हुआ था, पर ओ गुलाब का फूल नहीं था, फिर भी मैंने उसी फूल को तोर कर , एक पैर पे बैठ कर उसे प्रपोज किया, उसने कुछ न बोला , और ना ही फूल लिया , क्योंकि ओ छत पे खिड़की के पास थी ।
ये सब करते टाइम मुझे बहुत डर भी लग रहा था , क्योंकि उस वक्त उस रास्ते से कोई भी आ – जा सकता था । पर भगवान की किर्पा थी, कोई न आया ।

और फिर मैंने जोया से कहा तुम अपना नंबर दो, मुझे तुमसे बात करनी है , तो उसने कहा ,

जोया – तुम दो मुझे अपना नंबर मै तुम्हे फोन करूंगी। उस वक्त ओ अपनी मम्मी का फोन अपने पास रखती थी ।

( हलका एक्सिडेंट )

तो मैंने उसे अपना नंबर दे दिया ।
नंबर तो दे दिया बट मेरा नसीब खराब मेरे मोबाइल का बैटरी खत्म हो गया था ।
तो मै जल्दी जल्दी भाग कर घर आ रहा था ।
घर पहुंच कर मोबाइल की बैटरी चार्ज करने की इतनी जल्दी थी कि मैंने रास्ते में पड़ने वाले सड़क का खयाल ही नहीं रखा, और इसी सब मेरा हलका एक्सिडेंट हो गया।। बट जोया से बात करने की इतनी जल्दी थी कि मुझे पता भी नहीं चला कि मै गिर गया ह, मै जल्दी से उठ कर घर के तरफ भागे जा रहा था , उसी वक्त मेरा एक दोस्त मिल गया , उसका घर वहीं था,

मेरा दोस्त- क्या हुआ निलेश कहा भागे जा रहे हो ,

तो मैंने उससे सिर्फ इतना कहा कि तुम अपना मोबाइल दो , मुझे अपनी सिम तुम्हारे मोबाइल में लगानी है ।

तो मेरे दोस्त – ने जल्दी से अपना मोबाइल दिया , मैंने अपना सिम उसके मोबाइल में लगाया ।
( ये मेरा वहीं दोस्त है जो आगे चलकर मेरी प्रेम कहानी में बहुत बड़ा योगदान देने वाला है , इस दोस्त का नाम मनीष है ।)

सिम लगाते ही जोया की फोन आ गया, ओ मेरे फोन उठाते ही गुस्से में बोल पड़ी ,

जोया – फोन बंद क्यों था, बात नहीं करनी थी तो नंबर ना देते।
उसकी ये गुस्से वाली आवाज सुन कर मै डर गया, की कही ओ मुझसे बिना बात किए ही फोन रख न दे , और फिर कभी बात न करे ।

मैंने उसे कहा कि मेरी मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई थी । इसीलिए बन्द था। फिर मैंने उसे सब बताया कि कैसे मैंने मोबाइल ओपन किया । तब जाकर उसका गुस्सा खत्म हुआ।
फिर हमने थोड़े देर ऐसे ही पढ़ाई और एग्जाम को लेकर बात की ।
उस दिन ज्यादा बात नहीं हुई। उसने फोन रख दिया । रखते वक्त मैंने उससे पूछा कि अब कब कॉल करोगी , तो उसने कहा सोचेंगे ।
इस खुशी में मुझे पूरी रात नींद नहीं आई ऐसा लग रहा था, जैसे मुझे सब कुछ मिल गया हो, मै बहुत खुश था।।
मेरा एग्जाम 13 मार्च से होने वाला था, तो मै 12 मार्च को जोया के कॉल आने का इंतजार करने लगा , उसने पूरे दिन कॉल न किया ,

उसने मुझे कॉल करने के लिए मना किया था । इसीलिए मै इतंजार कर रहा था।। उसी दिन रात 8 बजे उसका कॉल आया । तब जाकर मेरे दिल को सुकून मिला ।
मैंने उससे उस दिन 3 घंटे बात की , बहुत सारी बात, फिर मैंने उसे बताया कि मेरा एग्जाम सेंटर घर से 12 किलोमीटर दूर है।। इसीलिए मैंने वहीं रूम ले लिया है । तो उसने कहा कि ठीक है।।
बट मेरा दिल उसे देखे बिना कहा रहने वाला था ।
तो फिर मै एग्जाम सेंटर के पास रूम लेकर रहने लगा ।

और रोज रात उससे बात होती, एग्जाम के बारे में , कैसा एग्जाम गया यही सब ।

( 24 Km साइकिल पर )

बट अभी तक ना ही मैंने और ना ही उसने प्रपोज किया था । हमलोग को बात करते करते 5 दिन बीत चुके थे । और मुझे उसे देखे हुए 3 दिन, सो मुझे जोया को देखने का बहुत मन कर रहा था। और हा उस टाइम मेरे पास बाइक नहीं थी। तो मेरा दोस्त सेंटर पे अपना साइकिल ले कर गया था, मैंने उसकी साइकिल मांगी और जोया को देखने आ गया । जब जोया के घर के पास आकर उसे कॉल किया तो उसने मुझे बहुत डाटा ,

जोया – कि क्या जरूरत थी। उतनी दूर से साइकिल से आने की,

उसने बात तो सही कही थी, मैंने अपनी लाइफ में पहली बार उतनी दूर साइकिल चलाया था, बट उसके सामने मैंने कहा कोई बात नहीं है । इतना चलता है ।
फिर मैंने उसे देखा , ओ बहुत हसीन लग रही थी । बहुत प्यारी , उसने गुलाबी रंग की स्कर्ट और ऑर्रेंज रंग की टी शर्ट पहन रखी थी, दिल कर रहा था, बस देखता रहूं। फिर कुछ देर बाद मै वहा से सेंटर पे आने के लिए निकल पड़ा क्योंकि रात होने वाली थी और दूरी जाना था।। तो मै सेंटर पे पहुंचा मेरी तो सच में फट गई थी, 24 km साइकिल मैंने कभी नहीं चलया था। इसीलिए मेरे पैर बहुत दुख रहे थे। और थोड़ा बुखार भी आ गया था । शुक्र थी कि उसके अगले दिन एग्जाम नहीं था मेरा, सो मै वहीं रेस्ट करने लगा, विनय मेरे साथ ही वहीं था , उसने डॉक्टर से दवा लेकर दी, मेरे पैर दवा दिए, तब जाकर मै ठीक हुआ।

ये बात मैंने जोया को नहीं बताया ।

इसी तरह एग्जाम खत्म हो गया, और मै अपने घर आ गया ।
अब रोज रात को बात होती थी । हम घंटो बात करते थे , पर अभी तक किसी को किसी ने प्रपोज नहीं किया था, तो मैंने एक दिन उसे ऐसे ही मजाक में बातो बातो में ” I LOVE YOU ” बोल दिया , मुझे लगा कि ओ बुरा न मान जाए पर जो हुआ मै सोचता रह गया ।

उसने बताया कि ,

जोया – ओ मुझसे कब से ये सुनना चाहती थी , बट मैंने हि बोलने में बहुत देर कर दी ।
अब हम दोनों बहुत खुश थे। सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था, हम रोज बात करते थे।
फिर जोया ने कहा कि

जोया – ओ कम्प्यूटर क्लास करने जाने वाली है। मुझे भी ये जानकर अच्छा लगा, की इसी बहाने कम से कम पहली बार ही हम मिल तो पाएंगे ।
उसने कम्प्यूटर क्लास जाना सुरु कर दिया, पहले दिन मै उसके पीछे पीछे उसके क्लास तक गया । उसी दिन पहली बार मैंने उसका हाथ पकड़ा था। और उसका हाथ पकड़ कर सड़क पे साथ साथ चल रहा था।।

हम दोनों बहुत खुश थे। और अपना कम्प्यूटर क्लास करती तब तक मै बाहर उसका इंतजार करता, फिर साथ में हाथ मै हाथ पकड़ कर घर जाते ।[ ये मेरा और उसका पहला स्पर्श था ]

पर भगवान को हमारी खुशी मंजूर नहीं थी ! हम दोनों 2 दिन तो साथ में गए ही थे कि,

( दूसरी बार सैंडल से मार )

रात में बात कर रहे थे, की जोया का कॉल कट गया, और फिर मोबाइल बंद बताने लगा । मुझे थोड़ी घबराहट होने लगी।।फिर जैसे तैसे रात काटी , सुबह मै उसका इंतजार करने लगा । ओ रोज की तरह कम्प्यूटर क्लास जाने के लिए आई , और हम साथ जाने लगे ।

मैंने उससे पूछा कल नाइट में क्या हुआ था, तो उसने कहा कि मम्मी आ गई थी , इसीलिए कॉल रख दी थी।।
फिर ओ क्लास में चली गई , और मै उसका इंतजार करने लगा ।
” बट अब जो होने वाला था उससे पूरी कहानी बदलने वाली थी। ”
उसका क्लास खत्म हुआ और हम साथ में जाने लगे, तभी रास्ते में उसकी मम्मी मिल गई , उसकी मम्मी रात में उसकी बात करते सुन ली थी पर उसने जोया को कुछ कहा नहीं था, और चुप चाप आज उसके पीछे पीछे आ गई थी , जीस बात का पता मुझे और जोया को नहीं था ।
हम कोचिंग क्लास से साथ निकले और हाथ में हाथ डालकर आ रहे थे , तब ही रास्ते में उसकी मम्मी मिल गई,” फिर जो पूरी सरक पे बहुत लोगो के सामने मेरी कुटाई हुई,ओ आप लोगो को जानने वाली बात है। ”
उसकी मम्मी हमारे पास आई और बिना कुछ बोले समझे मेरे ऊपर थप्पड़ बरसाना सुरु कर दिया, फिर उन्होंने अपना सैंडल निकला और मेरे ऊपर लगातार 33 सैंडल बरसा डाली,
वहा पे तो लोगो का बहुत अच्छा भीड़ जमा हो गया था, बहुत लोग उसकी मम्मी को मना कर रहे थे, की आप क्यों मार रहे है, इस लड़के को, तो उसकी मम्मी ने कहा कि मेरी बेटी को परेशान कर रहा था, तो आस पास के लोगों ने कहा कि ऐसा तो नहीं है, आपकी बेटी और ये लड़का दिनों साथ में हस्ते हुए बाते करते आ रहे थे, और आप एका एक आई और इस बच्चे को मारने लगी ।
तो उसकी मम्मी ने कहा कि – पूछिए मेरी बेटी से, कि इस लड़के ने इसे परेशान किया है कि नहीं ।
इस बात पे जोया ने कुछ न बोला और सिर्फ रोती रही। बहुत रोए जा रही थी ।
फिर लोगो ने मुझ से पूछा कि। ये सही है, तो मैंने कहा कि अगर इनकी बेटी बोल देती है तो मुझे जितना मारना हो या जो करना हो कर सकती है ।

बट जोया सिर्फ रोए जा रही थी । ओ कितना भी कुछ बोलने पे नहीं बोल रही थी ।
फिर उसकी मम्मी ने सबके सामने मुझ से कहा कि तुम आज के बाद इसे कॉल नहीं करोगे।।
फिर मैंने उनसे सिर्फ इतना कहा कि अगर यही बात जोया खुद बोल दे तो मै कॉल नहीं करूंगा ।
बट जोया सिर्फ रोई जा रही थी।। और रोते रोते उसने ” हा ” में सर हिला दिया ।
उसके बाद सब अपने घर गए , मै भी अपने घर गया, ये बात मेरे पूरे गांव में आग कि तरह फ़ैल गई, की मुझे सैंडल से मार लगा है ।
मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता ,पर
मै जोया के इस बर्ताव से बहुत रोया , उस दिन मुझे ऐसा लग रहा था, की मै मर जाऊ । मेरा ज़िन्दगी खत्म हो गया है ।

पर मुझे पूरा उम्मीद था कि जोया मुझे जरूर कॉल करेगी ।।

इसके आगे क्या हुआ। जोया ने कॉल किया कि नहीं, या मैंने कुछ अपने साथ गलत किया,

ये आगे की कहानी में

रेप – एक गन्दी सोच

दो स्तन एक वेजाइना और पेनिस शायद इन्ही के होने से रेप होता है।

नहीं स्तन रेप का कारण नहीं ही सकते. जिन छोटी छोटी बच्चियों के स्तन नहीं होते उनका भी रेप ही जाता है.

फिर तो इस वेजाइना के कारण ही रेप होते है. नहीं! child abuse के कितने केस हैं जहा लड़को(baby boy) के रेप होते है। वहा कोई वेजाइना नहीं होती.

यानि रेप पेनिस के कारण होते है.
लेकिन कई हॉस्टलस् और जेल के कितने किस्से सुने है जहा लड़को के रेप होते है। यानि जिनके पास पेनिस है उनका भी रेप होता है। और अगर रेप सिर्फ पेनिस के कारण होते तो गैंग रेप/ रेप के बाद लड़की के शरीर में सरिये कंकर कांच(दिल्ली/रोहतक की घटना,और ऐसी हज़ारो न रिपोर्ट होने वाली घटनाएं) क्यों डालते.

यानि रेप पेनिस वेजाइना (शरीर की संरचना) के कारण नहीं होते।

रेप उस मानसिकता के कारण होता है जो लड़की की शर्ट के दो बटनों के बीच के गैप से स्तन झाँकने की कोशिस करते है. जो सूट के कोने से दिख रही ब्रा की स्ट्रिप को घूरते रहते है. और औरत की स्तन का इमैजिनेशन करते है. जो स्कर्ट पहनी लड़की की टाँगे घूरते रहते है। कब थोड़ी सी स्कर्ट खिसके कब पेंटी का कलर देख सके। पेंटी न तो कुछ तो दिखे।

जो पार्क में बैठे कपल्स को देखकर सोचते है काश ये लड़की मुझे मिल जाये तो पता नहीं मैं ये करदु मैं वो करदु…
वो मानसिकता जब एक दोस्त दूसरे से कहता है – क्या तू अपनी गर्ल फ्रेंड के साथ रात में रुका और तूने कुछ नहीं किया, नामर्द है क्या.?!

रेप सिर्फ गन्दी मानसिकता के कारण होता है.जहाँ औरत सिर्फ इस्तेमाल का सामान है. इंसान कतई नहीं……

कुछ अभद्र भाषा का उपयोग किया गया है, बुरा लगा हो तो माफ़ कीजिएगा !

वोह मेरी दोस्ती में है पूनम का चाँद

मेरी एक मित्र है नाम है अनीता

वोह मेरी दोस्ती मैं है जैसे चन्द्रबिन्दु।

मुझे उससे पहली मुलाकात भी है अच्छी तरह याद,
जेठ की थी चिलचिलाती धुप दिन था इतवार ,
और तारीख था तेइस अप्रेल सन दो हज़ार दस ।

उसकी हर बाते मुझे लगाती है प्यारी , क्योंकि वोह है सबसे न्यारी।

मेरी बातो को समझाने वाली, सीधी सादी भोली भली थोड़ी सुकुमारी।

चाल पर उसकी मैं सड़के जाता हूँ , जब वोह चलती है मैं ठहर जाता हूँ।

सूना था मोरनी की चाल बहुत प्यारी होती है,
अब मैं मानता हूँ वोह ज़रूर अनीता जैसी चलती है।

आवाज़ में है उसके एक मिठास , लगता है जैसे गन्ने का खेत हो आस पास।

कानो में जो शहद सी घुलती है और सीधे दिल पर असर कराती है।

मेरेजज्बातों को वो झंझोरती है , मुझमे नित नयी जीवन की आस है।

मेरी रचनाओ में पलती है , मेरे गीतों और कविताओ में वो मिलाती है।

मुझे कुछ नया करने की वो प्रेरणा देती है, मेरी हर काम की वो सुध लेती है।

मुझे उसकी दोस्ती पर है नाज़, न था उसपर ग्रहण न है उसपर दाग।

वोह मेरी दोस्ती में है पूनम का चाँद , वोह मेरी दोस्ती में है पूनम का चाँद।

Nilesh

वो बस वाली लड़की

बस का सफ़र बड़ा ही मजेदार होता है। हाँ हर बार तो नहीं पर कभी कभी इतना की वो हमारे दिलो-दिमाग पर एक अमिट छाप छोड़ देता है। हा मुझे कुछ ज्यादा पसंद नहीं है , बस में यात्रा करना !

एक ऐसी ही बस यात्रा मेरी भी थी। मै अपने शहर से पातेपुर जा रहा था। मेरी ट्रैनिंग चल रही थी | मै जल्दी से बस-अड्डे की तरफ भागा। माँ के तिलक करने और दही-चीनी खिलाने की रस्म निभाने में मुझे पहले ही देर हो चुकी थी। अब हमारी माँ हमारी इतनी परवाह जो करती है, अपने बेटे को ऐसे कैसे जाने दे देती। जैसे तैसे मै बस-अड्डे पहुंचा। देखा तो एक बस कड़ी थी और कंडक्टर अपनी फटी आवाज़ में पातेपुर पातेपुर चिल्ला रहा था। खैर मै टिकट लेकर बस के अन्दर पहुंचा। एक ही सीट खाली थी, वो भी एक सुन्दर सी कन्या के साथ वाली। देख के मन गद-गद हो उठा, फिर भी अपनी ख़ुशी को दबाते हुए मै अपना सामान ऊपर टिका कर खुद सीट पर टिक गया। मन में एक दबी से मुस्कराहट उच्छालें मार रही थी। उसका ध्यान तो बस खिड़की के बाहर कपडे के दूकान में टंगे एक पर्स पर था। बहुत मिन्नतें करने के बाद बस को आगे बढाने का कार्यक्रम सुरु हुआ। बस अपना पूरा जोर लगाते हुए,चीखते-चिल्लाते हुए आगे बढ़ने लगी। कुछ दूर बस चली ही थी की उसे रुकना पड़ा। कुछ अतरंगी से लोग ऊपर चढ़े। सामने ही आ के खड़े हो गये। मुझे क्या लेना था मेरी निगाह तो उसके चेहरे के दर्शन करने को लालायित थी। उसका ध्यान मेरी तरफ गया, शुक्र है खुदा का। मैंने अपने अन्दर की सारी ताकत झोकते हुए उस से पूछे “आप भी पातेपुर जा रहे हो?”। उसने हाँ में सर हिलाया। मेरे अन्दर की हिम्मत बढ़ी, मैंने पूछा “आप का नाम क्या है?। उसने मुझपर एहसान जताते हुए कहा “रेखा”। बातों का सिलसिला चलता रहा, बस भी चलती रही। इसी बीच एक स्टॉप आ गया, मेरे बगल की सीट खाली हुई। चार पूर्ण रूप से थके-हारे लोग ऊपर आये। मेरे बगल की सीट पे बिराजमान हो गये। पर उन्हें सारी सीटें साथ में चाहिए थी सो कंडक्टर ने आ के हम दोनों से गंभीर रूप से कहा” भैया आप दोनों पीछे चले जाइए न, चूँकि इनकी तबियत खराब है तो इन्हें साथ में बैठना है”। बीमारी की बात सुन हम तरस खा के पीछे चले गए। बस एक बार फिर आगे बढ़ी। हमारी बातो का सिलसिला भी बढ़ता गया। हमारी अच्छी-खासी दोस्ती हो गयी थी। मैंने सोचा चलो एक दोस्त बन गया। ठंडी हवाओं के कारण उसे नींद आने लगी, वो हमारे कन्धों पर ही सर रख के सो गयी। एक बार फिर से मन में लड्डू फुटा। अभी उसका सर हमारे कन्धों पर अच्छे से पहुंचा भी नहीं था की एक बार फिर से बस रुकी, कुछ मरियल से लोग फिर नज़र आने लगे। हरकतों से मुझे अंदाज़ा हो गया की ये भी बीमार आदमी पार्टी की सदस्य हैं। एक बार फिर से कंडक्टर का निशाना हम बने। इस बार हमसे हमारी सखी के साथ बिलकुल पीछे जाने की गुजारिश की गयी। झल्ला के हमने चिल्ला के बोला “अरे भाई बस चला रहे हो की एम्बुलेंस। कहाँ से इतने सारे बीमारों को पकड़ लाये हो”। लड़की के कहने पे हम शांत हो के पीछे चले गए। हमारी बाते फिर से आगे बढ़ी हमने पूछा “फेसबुक यूज़ करती हो” उसने कहा “हाँ”। हमने फटाफट फ़ोन निकाल के उसको फ्रेंड-रिक्वेस्ट भेजा। उसने भी उसी गति से उसे स्वीकार किया। हमलोग पातेपुर पहुँचने वाले थे। हमने सोचा की अब फेसबुक के भरोसे बैठे तो नहीं रह सकते ना, सो क्यों न उस से उसका फ़ोन-नंबर लिया जाए। हमने अपने अन्दर की समूची ताकत झोंक के उस से उसका नंबर मांगने की हिमाकत भी कर डाली। उसने धीरे से हमारी तरफ अपना चेहरा घुमाया, अपनी आँखों को मेरी आँखों के अन्दर झांकते हुए बिन बोले ही ऐसे भाव जताए जैसे मैंने उस से उसका नंबर नहीं उसकी दोनों किडनियां मांग ली हो। उसी क्षण हमें हमें अहसास हुआ की कैसे एक औरत दुर्गा और काली का रूप लेती होंगी। मैंने धीरे से अपना सर दूसरी तरफ घुमाया और उधार ही छोड़ दिया। उसने फिर कंधे पे थपथपाया और अपना फ़ोन मेरे हाथ में देते हुए कहा इस से अपने नंबर पे फ़ोन कर लो। एक पल को ऐसा लगा जैसा वो अपना नंबर नहीं बिल गेट्स की सारी सम्पति मेरे नाम कर रही हो। मैंने उसके फ़ोन से खुद को ही फ़ोन किया, धीरे धीरे चीखता हुआ मेरे मोबाइल गाने लगा “कैसे मुझे तुम मिल गयी, किस्मत पे आये न यकीं”। मैंने फ़ोन कटा और उसका नाम अपने फ़ोन में “बस वाली” के नाम से सेव कर लिया।धीरे धीरे बस चरमराते हुए बस रुकी। सभी धीरे-धीरे उतरे। मै भी उतर के अपने घर को जाने लगा की उसें पीछे से आवाज लगायी ”फ़ोन करते रहना’। मैंने हाँ में सर हिलाया और आगे बढ़ता चला गया। बस इतनी से थी मेरी बस की यात्रा।

#nilesh

तुम क्या गयीं सारी खुशियाँ चली गयीं,

तुम क्या गयीं सारी खुशियाँ चली गयीं,
मन तो उदास होता आज भी है।

आँखों में आँशू दिखते नहीं ये और बात है,
पर तेरी याद में हर पल ये दिल रोता आज भी है।

साथ बिताये थे बैठकर जो लम्हे ,हमने, कभी एक साथ
धुंधली पड़ गयी उन यादों को ,
आंसुओं से धोता ये दिल आज भी है।

चांदनी रातों में झील के किनारे बैठकर ,
सुनी थी हमने ,तेरी चूड़ियों की खनखनाहट।

तेरी पायलों की छनक से निकले हुए उस राग को ,
सूखे होठों से हरपल गुनगुनाता ये दिल आज भी है।

किसी जहरीली नागिन सा बलखाता तेरा बदन ,और,
मदमस्त तेरे होठों से पिया था ,हमने कभी तेरा जहर।

नीलिमा नही आती मेरे बदन पर कभी फिर भी,
तेरे जहर के नशे में ये दिल ,झूम जाता आज भी है।

अरे ! तुम तो चले गए और जाते हुए मुझको,
क्यों इस शराब का सहारा दे गए ।

जब पीता हूँ इस गरज से कि पिऊंगा ,रात भर ,
और कोसुंगा तेरे इश्क़ को।

बस देख कर तेरी तस्वीर को न जाने क्यों,
हर बार मेरे हाथ से पैमाना, छूट जाता आज भी है।।

#Nilesh

जब से इन आँखों ने , देखा है तुम्हे।

जब से इन आँखों ने ,

देखा है तुम्हे।

आँखों में तुम,

सांसो में तुम,

बातो में तुम,

तुम ही तुम रहती हो।

रहने लगी हो तुम।

मेरे ख्यालो में,

मेरे जज्बातों में,

मेरे कामो में,

तुम ही तुम रहती हो।

रहने लगी हो तुम,

मन में ,

तन में,

आत्मा में,

तुम ही तुम रहती हो।

रहने लगी हो तुम।

मेरे एहसास में,

मेरी प्यास में,

मेरे इंतज़ार में,

तुम ही तुम रहती हो।

रहने लगी हो तुम।

मेरी चाहत में,

मेरी दुआओ में,

पर तुम्हे पता नही।

जब से इन आँखों ने ,

देखा है तुम्हे।

तुम ही तुम रहती हो।

करवा चौथ की हार्दिक बधाई

ऐ चांद क्या समां हैं तेरा, कि वो पलकें बिछाए
तेरा इतज़ार कर रही होगी…

और मोहब्बत की नुमाइश ही कुछ ऐसी है कि वो
हाथो में मेहंदी लगा कर अपने साजन का दीदार कर रही होगी ..।