तुम क्या गयीं सारी खुशियाँ चली गयीं,

तुम क्या गयीं सारी खुशियाँ चली गयीं,
मन तो उदास होता आज भी है।

आँखों में आँशू दिखते नहीं ये और बात है,
पर तेरी याद में हर पल ये दिल रोता आज भी है।

साथ बिताये थे बैठकर जो लम्हे ,हमने, कभी एक साथ
धुंधली पड़ गयी उन यादों को ,
आंसुओं से धोता ये दिल आज भी है।

चांदनी रातों में झील के किनारे बैठकर ,
सुनी थी हमने ,तेरी चूड़ियों की खनखनाहट।

तेरी पायलों की छनक से निकले हुए उस राग को ,
सूखे होठों से हरपल गुनगुनाता ये दिल आज भी है।

किसी जहरीली नागिन सा बलखाता तेरा बदन ,और,
मदमस्त तेरे होठों से पिया था ,हमने कभी तेरा जहर।

नीलिमा नही आती मेरे बदन पर कभी फिर भी,
तेरे जहर के नशे में ये दिल ,झूम जाता आज भी है।

अरे ! तुम तो चले गए और जाते हुए मुझको,
क्यों इस शराब का सहारा दे गए ।

जब पीता हूँ इस गरज से कि पिऊंगा ,रात भर ,
और कोसुंगा तेरे इश्क़ को।

बस देख कर तेरी तस्वीर को न जाने क्यों,
हर बार मेरे हाथ से पैमाना, छूट जाता आज भी है।।

#Nilesh

जब से इन आँखों ने , देखा है तुम्हे।

जब से इन आँखों ने ,

देखा है तुम्हे।

आँखों में तुम,

सांसो में तुम,

बातो में तुम,

तुम ही तुम रहती हो।

रहने लगी हो तुम।

मेरे ख्यालो में,

मेरे जज्बातों में,

मेरे कामो में,

तुम ही तुम रहती हो।

रहने लगी हो तुम,

मन में ,

तन में,

आत्मा में,

तुम ही तुम रहती हो।

रहने लगी हो तुम।

मेरे एहसास में,

मेरी प्यास में,

मेरे इंतज़ार में,

तुम ही तुम रहती हो।

रहने लगी हो तुम।

मेरी चाहत में,

मेरी दुआओ में,

पर तुम्हे पता नही।

जब से इन आँखों ने ,

देखा है तुम्हे।

तुम ही तुम रहती हो।