
Happy Independence Day

जय श्री राम ।
Happy Independence day 🇮🇳
&
RakshaBandhan ki Hardik badhai❤️
Nilesh
तुम क्या गयीं सारी खुशियाँ चली गयीं,
मन तो उदास होता आज भी है।
आँखों में आँशू दिखते नहीं ये और बात है,
पर तेरी याद में हर पल ये दिल रोता आज भी है।
साथ बिताये थे बैठकर जो लम्हे ,हमने, कभी एक साथ
धुंधली पड़ गयी उन यादों को ,
आंसुओं से धोता ये दिल आज भी है।
चांदनी रातों में झील के किनारे बैठकर ,
सुनी थी हमने ,तेरी चूड़ियों की खनखनाहट।
तेरी पायलों की छनक से निकले हुए उस राग को ,
सूखे होठों से हरपल गुनगुनाता ये दिल आज भी है।
किसी जहरीली नागिन सा बलखाता तेरा बदन ,और,
मदमस्त तेरे होठों से पिया था ,हमने कभी तेरा जहर।
नीलिमा नही आती मेरे बदन पर कभी फिर भी,
तेरे जहर के नशे में ये दिल ,झूम जाता आज भी है।
अरे ! तुम तो चले गए और जाते हुए मुझको,
क्यों इस शराब का सहारा दे गए ।
जब पीता हूँ इस गरज से कि पिऊंगा ,रात भर ,
और कोसुंगा तेरे इश्क़ को।
बस देख कर तेरी तस्वीर को न जाने क्यों,
हर बार मेरे हाथ से पैमाना, छूट जाता आज भी है।।
#Nilesh
वो ज़िस्म का भुखा मोहब्बत के लिबास में मिला था,
पहचानती कैसे उसे चेहरे पर चेहरा लगा कर मिला था .!
क्या पता था दर्द उम्र भर का देगा
वो दरिंदा बड़ा मासुम बन कर मिला था
पहली मुलाकत पर ही दिल में उतार गया था
वो मुझे पूरी तय़ारी के साथ मिला था
देखते देखते वो मेरा हमराज बन गया
कि हर दफा मुझे वो यकीन बन कर मिला था
माँ बाप से छुप कर उसको मिलने लगी थी
वो मुझे मेरा इश्क जो बन कर मिला था
हल्की सी मुस्कान लेकर वो मुझे छूता रहता था
वो हवसी मेरी हवस को जगाने की कोशिश करता था
वक़्त के साथ उसके इश्क का नशा मेरे सिर चढ़ने लगा था
मेरा भी ज़िस्म उसके ज़िस्म से मिलने को तरसने लगा था
मुझे इश्क के नशे में देख उसने मेरे ज़िस्म से वस्त्र को अलग किया था
जिस काम की वो तलाश में था उसे वो काम करने का मोका मिला था
टूट पडा था वो मुझ पर, हवस में दर्द की सारी हद पार कर गया था
उस रात वो पहली बार मुझे चेहरा उतार कर अपने आसली रंग में मिला था
हवस मिटा कर अपनी उसने मुझे जमीन पर गिराया था
दिल की रानी कहता था जो उसने तवायफ कह बुलाया था
मोहब्बत उसे थी ही नहीं ज़िस्म को पाने के लिए उसने नाटक किया था
मेरे प्यार मेरी मासूमियत के साथ खेल खेला था
फिर मुझे छोड कर पता नहीं कहा चला गया
मोहब्बत की आड़ में शायद किसी ओर को तवायफ बनाने गया था
कितना वक़्त गुजर गया जख्म रूह के अब भी हरे है
सोचती हु मोहब्बत के राह में क्यों इतने धोखे है
हर मोड़ पर क्यों खडे जिस्मो के आशिक है
खुद को किसी पर सोपने से पहले
थोड़ा सोच लेना…
कही वो शिकारी जिस्मो का तो नहीं
तुम थोड़ी जाच कर लेना
अब कभी खुद को तो कभी मोहब्बत तो कभी उसको कोशती रहती हु
हे किस्मत मेरे साथ तेरा क्या गिला था,
वो आखरी वार मुझे बिस्तर पर मिला था.!
#Nilesh
सभी देशवासियों को “कारगिल विजय दिवस” की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ अमर शहीदों के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम !!
जरा याद उन्हें भी कर लो,
जो लौट के घर न आये…..!!!!
26 जुलाई 1999 का दिन भारतवर्ष के लिए एक ऐसा गौरव लेकर आया, जब हमने सम्पूर्ण विश्व के सामने अपनी विजय का बिगुल बजाया था. इस दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्तकराया था. इसी की याद में ‘26 जुलाई’ अब हर वर्ष “कारगिल विजय दिवस” के रूप में मनाया जाताहै.|
दिल में हौसलों का तेज और, तूफ़ान लिए फिरते है |
आसमां से उंची हम अपनी, उड़ान लिए फिरते है ||
वक्त क्या आजमाएगा, हमारे जोश और जूनून को,
हम तो मुठ्ठी में अपनी , जान लिए फिरते हैं ||
हमसे महफूज़ सरहदे है, हमसे रोशन ये चमन |
हमसे खुशियों कि बारातें, और कायम चैनो अमन ||
हम वतन के पहरेदार… दुश्मनों के लिए दीवार ….
सर पे कफ़न होंठों पे भवानी, नाम लिए फिरते है,
हम तो मुठ्ठी में अपनी , जान लिए फिरते हैं |
हमारी वतनपरस्ती, चंद रुपयों की मोहताज नहीं |
खरीद सके जो ईमान को, कोई ऐसा तख्तो ताज नहीं ||
हम भारत माँ के वीर सपूत… सैन्य शक्ति के अग्रदूत….
अपनी बन्दूको में दुश्मनों का, अंजाम लिए फिरते है,
हम तो मुठ्ठी में अपनी , जान लिए फिरते हैं ||
मात देते अपने साहस से, दुश्मन की हरेक चाल को |
तिलक करते अपने लहू से, भारत माँ के भाल को ||
है अदम्य साहस का प्रकाश…नहीं किसी तमगे की आस,
अपनी शहादत पर भी सैकडों, सलाम लिए फिरते हैं,
हम तो मुठ्ठी में अपनी , जान लिए फिरते हैं ||
#Nilesh