इश्क़ है , बस बेइंतहा इश्क़ है..

उसकी “typing…” पर, खुशी से काँपती मेरी उँगलियाँ.. इश्क़ है,

उसकी “New profile pic” को मिनटों तक एकटक झाँकती पलकों की पंखुड़ियाँ.. इश्क़ है,

गुफ्तगू करने की अनगिनत ख्वाहिशों के बीच,

“online” होकर भी चीखती खामोशियाँ.. इश्क़ है..

जरा सी आहट पे, फोन पकड़ कर बैठ जाना, वो “notification” की टनटनाती घंटियां.. इश्क़ है..

कैसे हो? पूछने पर.. “iam fine” बताना लिख कर मिटाना, मिटा कर छिपाना, वो “draft” में बेबस पड़ी अनकही अर्जियाँ.. इश्क़ है..

उसका नाम सुन कर धड़कनों का बढ़ जाना,

और उसका नाम सुना कर दोस्तों की मन-मर्जियाँ.. इश्क़ है..

अनंत तक चलने वाली “convo” में..

“Hmm” और “Hanji” की तल्खियाँ.. इश्क़ है..

“Call” आने पे बावला हो जाना,

अलाना.. फलाना.. बतियाना दिल ही दिल में खिलखिलाना, वो बच्चों सी खुशियों वाली किलकारियाँ.. इश्क़ है..

हर रोज मुलाकात के लिए पूछना,

ना मिल पाने पर दिल ही दिल रो लेना और उसको महसूस तक ना होने देना… इश्क़ है..

मशरुफ़ियत कितनी भी भारी पड़े कैफ़ियत पूछने पर, बस इक बार “Last seen” देखने वाली बेचैनियाँ.. इश्क़ है..

सुबह सबसे पहले उठकर ” call log ” में उसका “call ” देखना….”इश्क” है..

हर सुबह की ” राधे राधे ” और देर रात की “Good Night ” इश्क़ है…

“इश्क़ है”, बस बेइंतहा इश्क़ है..

#Nilesh

हाल कैसा हैं ।

हाल कैसा हैं ।

आओ बैठो पास तो बताऊं , हाल कैसा है ..
दूर से पूछोगे तो अच्छा ही कहूंगा ..
ख़ैर छोड़ो ..
पास आने में तकलीफ़ हैं ..
तो कभी टाइम निकाल वक्त पे रिप्लाई करो तो बताऊं हाल कैसा है ।
यू तो कइयो ने दिल दुखाया है मेरा ,
पर कभी फुरसत में वक्त मिले तो पूछना तब बताऊं हाल कैसा है ।
दूर से पूछोगे तो अच्छा ही कहूंगा ।

मैं मैसेज करू घंटो रिप्लाई न आये
जब रिप्लाई आए तो , क्या बताऊँ हाल कैसा है ।
कभी पास बैठो तो बताऊं हाल कैसा है ।

जब पूछो बोलती हो इंस्टाग्राम ओपन नही की थीं ,
तो यू फेसबुक पे किसी और की फ़ोटो लाइक न करो तो बताऊं हाल कैसा है।

यूं तो कइयो बहाने है मेरे पास भी ,
कभी सिर्फ़ मेरे लिए ही इंस्टाग्राम ओपन करो तो बताऊं हाल कैसा है ।😊

प्यार सब से नही होता

प्यार सब से नही होता, पसंद तो बहुत कोई आता है ।
बाते तो बहुतो से होती है, फ्लीइंग्स वो नही आती ।
तुम्हे अपने दिल मे नीचा दिखाने के लिए ,
मिलने की इच्छा बहुतो से होती है ।
कोई बार कोशिश भी की है,
पर उनमें भी मैं तुम्हे ही ढूंढता हु ,
और जब नही मिलती हो ,
तो फिर मिलना क्या मिलाना क्या,
सब वैसे ही रह जाता है ।
फिर शर्म सी आती है ,

पर हु तो मैं इन्शान ही न ,
फिर वो गुस्सा आता है,
तुम भी तो अब नही हो ।
फिर
सब ठीक हो जाता है

NILESH