बलात्कारियो का बलात्कार, अब क्यों ना हो?

👇बलात्कारियो का बलात्कार, अब क्यों ना हो?👇

हवस मिटाने के लिए जो जाल बिछाये रखते है
उन हब्शियो की हवस का ईलाज,अब क्यों ना हो?
कब तक लूटते रहेंगे दरिंदे इज्ज़त-ए-आबरू
बलात्कारियो का बलात्कार, अब क्यों ना हो?

नज़रो से नोच डालते है जिस्मो को जो अंदर तक
उन आँखों में दहकते अँगारे, अब क्यों ना हो?
जिन हाथो से करते है इज्ज़त नंगी मासूमों की
उन हाथो में जख्म गहरे, अब क्यों न हो ?

फैंककर तेज़ाब जिस्मो पर जो बहादुरी दिखाते है
उनके जिस्मो को भी एहसास इस दर्द का, अब क्यों ना हो ?
तारीख़ पर तारीख कब तक मिलेगी अदालतों से हमे
इस मुद्दे की मोके पर सुनवाई, अब क्यों ना हो?

मुँह उठायें कब तक देखोगे सरकारों की तरफ
खुद की हिफाज़त खुद करने का प्रण,अब क्यों न हो?
कितनी देर रहोगी बनकर अबला कमजोर सी तुम,
तेरे पास भी रानी लक्ष्मीबाई सा फौलादी हौसला, अब क्यों ना हो?

क्यों जियें ख़ौफ़ में बेटियां या माँ-बाप उनके
“Nilesh” अँधेरी गलियां भी बेख़ौफ़, अब क्यों ना हो?
हे खुदा ! शुद्धता अदा कर सोच में सबकी
हर नारी का दिल से सम्मान, अब क्यों ना हो ?

#Nilesh

ससुराल से मायका

ससुराल से मायका

रौनक थी जिनसे जिन्दगी में वो सब खो गई
शादी करके पिया जी तो मिले पर सहेलियाँ खो गई

जिम्मेदारियां बढ़ गई,नादान से समझदार हो गई,
बचपन की यादें, सखियों संग बातें , किशोरीपन की सारी चंचलता खो गई

नया घर, नए लोग नई दुनिया मिल गई
माँ का प्यार, पिता का दुलार, भाई की शरारते खो गई

घर गृहस्थी में जिन्दगी सुबह से शाम व्यस्त हो गई
वो हर बात पे रूठना वो बेवजह की चिल्लाहट खो गई

जीन्स में रहने वाली साड़ी पहनना सीख गई
वो चंचल सी शोखी घूंघट में कहीं खो गई

सपनो का राजकुमार, रोमांटिक राते तो मिल गई
वो बाबुल का आँगन,बेफिक्री की नींद खो गई

सब्जी भाजी का भाव करना,पैसे बचाकर घर चलना सीख गई
बेवजह के ख़र्चे, बेवजह की शॉपिंग करने वाली खो गईं

एक घर से पराई हुई और एक की अपनी हो गई
“निलेश” चीज़ें और भी बहुत मिली और बहुत सी खो गई ..!

वो ज़िस्म का भुखा मोहब्बत के लिबास में मिला था .!

वो ज़िस्म का भुखा मोहब्बत के लिबास में मिला था,
पहचानती कैसे उसे चेहरे पर चेहरा लगा कर मिला था .!

क्या पता था दर्द उम्र भर का देगा
वो दरिंदा बड़ा मासुम बन कर मिला था

पहली मुलाकत पर ही दिल में उतार गया था
वो मुझे पूरी तय़ारी के साथ मिला था

देखते देखते वो मेरा हमराज बन गया
कि हर दफा मुझे वो यकीन बन कर मिला था

माँ बाप से छुप कर उसको मिलने लगी थी
वो मुझे मेरा इश्क जो बन कर मिला था

हल्की सी मुस्कान लेकर वो मुझे छूता रहता था
वो हवसी मेरी हवस को जगाने की कोशिश करता था

वक़्त के साथ उसके इश्क का नशा मेरे सिर चढ़ने लगा था
मेरा भी ज़िस्म उसके ज़िस्म से मिलने को तरसने लगा था

मुझे इश्क के नशे में देख उसने मेरे ज़िस्म से वस्त्र को अलग किया था
जिस काम की वो तलाश में था उसे वो काम करने का मोका मिला था

टूट पडा था वो मुझ पर, हवस में दर्द की सारी हद पार कर गया था
उस रात वो पहली बार मुझे चेहरा उतार कर अपने आसली रंग में मिला था

हवस मिटा कर अपनी उसने मुझे जमीन पर गिराया था
दिल की रानी कहता था जो उसने तवायफ कह बुलाया था

मोहब्बत उसे थी ही नहीं ज़िस्म को पाने के लिए उसने नाटक किया था
मेरे प्यार मेरी मासूमियत के साथ खेल खेला था

फिर मुझे छोड कर पता नहीं कहा चला गया
मोहब्बत की आड़ में शायद किसी ओर को तवायफ बनाने गया था

कितना वक़्त गुजर गया जख्म रूह के अब भी हरे है
सोचती हु मोहब्बत के राह में क्यों इतने धोखे है
हर मोड़ पर क्यों खडे जिस्मो के आशिक है

खुद को किसी पर सोपने से पहले
थोड़ा सोच लेना…
कही वो शिकारी जिस्मो का तो नहीं
तुम थोड़ी जाच कर लेना

अब कभी खुद को तो कभी मोहब्बत तो कभी उसको कोशती रहती हु
हे किस्मत मेरे साथ तेरा क्या गिला था,
वो आखरी वार मुझे बिस्तर पर मिला था.!

#Nilesh

मेरी सोच

 

Iss Picture me likhi bat pe mai kuchh bolna chahata hu.

Bat to bilkul sahi hai.. but thori si. Badlao ki jarurat hai..

Sab Sas – Sasur Achhe hote. But unme se kuchh bure bhi hote hai.. sayad bahut bure, Jha o Maa – baap kahlane ke layak nahi hote.
Kyonki agar Mai yaha galat hu, To aaye din papar me dahej ke liye ladkiyon ko marna , unhen jinda jalana. Jaan se mar dalne.. wala news padhne ko n. Milta..

Sayad mai Galat ho sakta hu. Isiliye meri bat ka bura n mane.
#Nilesh

तेरा प्यार ( Yu badal jana )

ये कहानी मैने 2 साल पहले लिखी थी , असल में ये कोई कहानी नहीं है . ये कुछ यादे है . जो एक खास दिन मेरे साथ घटी थी . जब मैं किसी के साथ प्यार में था . जब उसने मेरे लिए पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा था . मुझे याद है मैने ये लाइन उसके याद में लिखी थी . ताकी उस दिन को मैं हमेशा अपने साथ रख सकु. ये यादे मेरे लिए बहुत खास है , और शायद ही मैं इन्हे कभी भुल पाऊ . ये कोई कबिता , शायरी , या न्जम नहीं है . शायद ये लोगो को कोई जोक लगे . पर ये लाइन मेरे दिल को बहुत आजीज है. मैं जब भी इनको पड़ता हु , एक अलग ही अहसाश होता है . मुझे ऐसा lgta है. जैसे फिर से सब मेरे सामने हो रहा है. और मैं चुप चाप बैठा देख रहा हु. इनको पढते वक्त मेरे आँखो में आसु और चहरे pr मुस्कां अा जाती है. ये अजीब सी फीलिंग है. जो मैं शब्दों में बायां नहीं कर सकता . पर अब मैं इन्हे आप सबको बातना चाहता हु. ताकी मेरी ज़िन्दगी का आखरी वक्त हो मरने से पहले एक बार किसी से पढवा कर , सून कर उस दिन को एक बार फिर से जीना चाहता हु..

कहानी .
बात ज्यादा पुरानी नहीं है.. साल – 2015 , Date – 30 October , दिन – Friday . ( करवा चौथ का दिन )
कल करवा चौथ की रात थी. कल मेरी जान ने मेरी लम्बी उम्र की दुआ के लिए कठिन करवा चौथ का व्रत उठाया था . ये सून कर मेरा दिल ख़ुशी से भर आया था. आज मैने उससे कहा मेरी जान मेरी लम्बी उम्र तेरी सेहत से ज्यादा ज़रूरी नहीं है . तो उसने कहा ज्यादा बकवास मत कर , कल का दिन भुखे प्यासे बड़ी मुश्किल से बिताया था . कल रात उसने मुझसे कहा जानु व्रत खोलने का कोई तारिका तो bta दो . मैने kha मैं क्या करू मेरी जान तू रहती इतनी दूर है. मैं कैसे अौ तेरे पास तू ही समझा दे. उसने मुझसे kha जानु मैं तुम्हे बिना देखे व्रत नहीं खोल सकती , ये रीवाज है इस व्रत का .. तुम समझो मेरी मजबूरी को , मैं इससे पाक रिवाज को नहीं तोर सकती . मैने कहा खाना कहा लो मेरी जान, मेरा भी भुख से bura हाल है , मैने भी तेरे लिए पूरे दिन से भुखा प्यासा हु .
आज खेलने गया था मैं Cricket मैच , भुख के मारे मेरे हाथ भी नहीं उठ रहा था. बस कुछ ही बौल मारी थी. किसी तरह दोस्तों से बहुत तेज सर दर्द का बहाना बना कर घर आया था. मैने तेरे लिए व्रत रखा है, ये शर्म के मारे उन्हे bta भी नहीं सकता था.

मैने कहा तु चिंता न कर मेरी जान , मैं अभी Latest Photo Facebook पे Upload करता हु. उसे देख कर अपना व्रत खोल ले. मैं तुमसे तहे दिल से फरियाद करता हु..
उसने कहा ठीक है. जल्दी कर मैं Photo Upload होने का इंतेजार कर रही हु. तब तक सून लो मेरे जानु मैं तुमसे बहुत प्यार करती हु. अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती हु..

मैने photo upload कर दी. उसने फोटो देख कर अपना व्रत खोल लिया , व्रत खोलने की खबर सून कर मैने नहीं एक ग्लास पानी पी लिया .
उसने मुझसे कहा , कहा निकल लिए ज़नाब कोई Gift तो दिया ही नहीं. मैने कहा जान मैं तुम्हे फुल ही दे सकता हु. इस समय मेरे पास पैसे की बहुत कमी है. मैने कहा मेरे साथ आपके ज़िन्दगी में अंधेरे ही अंधेरे है. जबकी तुम्हारे पास पेहले से ही रोशनी है.. उसने मुझसे कहा जानु ये फुल नहीं हमारे मोहब्बत की चिराग है . और रहा सवाल पैसे का तो तेरा साथ hi मेरे लिए काफी है. अब और कुछ मत कहना . बस तु मेरे हो..
मैने कहा कसम खाता हु मैं आज अपने मोहब्बत की मैं तेरे काबिल खुद को बनाऊंगा .
I Love You .. Meri Jaan..

ये कहानी थी 2015 की .. वक्त के साथ बहुत कुछ बदले ज़िनहे न बादलना चाहिए ओ भी बदले , क्यु बदले पता नहीं .

फिर एक Time आया 22 February – 2016 din – Monday .
और फिर ओ प्यारी बाते सिर्फ बाते रह गई . इस दिन के बाद मेरी जान का मैं जानु अब जानु न रहा . इस दिन क्या हुआ ओ तो मैं नहीं बता सकता .. बस इतना कहूँगा मेरी जान ने इस दिन ही मुझे आखरी प्यार भरा Call किया था . कुछ बाते हुई थी.. उनके साथ जो हमे ओ बाताना नहीं चाहती थी…
और फिर आखरी शब्द ,

I Love You. Jaanu.
मैं तुमसे हमेशा प्यार करती हु. और करती रहुंगी चाहे मैं jha भी रहु .

और मैं चुप चाप शुनता रहा. . मैं उन्हे ठीक से I Love You To Jaan भी न बोल पाया ..

और बस यही है..

Nilesh

mai bhi jala tha.. unke Sang

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Ek Year Bad Dekha Tha Unko ( Hindi Shayri )

1 year bad kal dekha tha unko sayad.
Khuda ki inayat thi.
Or To or ( pahli bar aisa hua tha ki o mere pass se Gujar gai. Or mujhe pta tak nhi chala. Phir mere ek dost ne mujhe bataya ki O yaha se abhi gai hai. )
Sayad unhone mujhe dekha hoga.. ya nhi ye confirm nhi hu.
Kyoki mai tej raftar se ja raha tha.. phir maine bike ghumaya , or back gya. Ab jo hua O suniye ,
Pta nhi kyu O bhi thore dur aage Jakar lout gai. O mujhe dekh kar lauti ya kuchh or wjh se pta nhi.
But unka Lout ke aana mujhe tirchhi Nazar se dekhna.. or mera unse nazar milana..
Meri Eid to usi wakt ho gai..
Kya Lg rhi thi. O
Jaise ki.

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तुम्हारी खूबसूरती की दिन रात तारीफ करता हूँ में….
तुम्हारी तस्वीर लेकर यूँ ही हमेशा देखा करता हूँ में..
क्या करू में..इतनी खूबसूरत जो हो तुम…
जन्नत से आई कोई परी हो तुम…!!!

तुम्हारी ये नशीली आँखें…और उनमे वो गहरे काजल..
उन्हे और भी खूबसूरत बनाती है..
उनमे और भी नशा जगाती है..!!

तुम्हारी ये प्यारे होंठ…और उनमे वो गुलाबी रंग….
छूने को मन करता है..
उनसे बातें करने को दिल करता है..

तुम्हारी ये घने घने ज़ूलफे…और उनमे वो रेशम सा रंग…
उनमे खो जाने को दिल करता है….उसमे सिमट जाने को दिल करता है..!!!

इतनी खूबसूरत हो तुम….औरो से बिल्कुल अलग हो तुम….आँखों की जन्नत हो तुम…
जन्नत से आई कोई पारी हो तुम..

Nilesh

Motivational Quotes

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Happy Republic Day, Shayri Hindi

ज़माने भर में मिलते है आशिक़ कई,
मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,
नोटों में लिपट कर, सोने में सिमट कर मरे है कई,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता.!

दहेज प्रथा ( Dowry System )

दहेज प्रथा एक अभिशाप

समाज के तरीको ने ही बनाया हैं बेटी को पराया
दहेज़ हो या कन्या भ्रूणहत्या अपनों ने ही कहर हैं बरसाया .,
Mai Aaye Din news Dekhta rhta hu ki. Ek Hi Ghar Ki Kai Betiyo Ne Ek Hi Fan Se Fasi Lagakar Jaan De Di Thi….Unki Gareebi Ne Unhe Yeh Kadam Uthane Pe Majboor Kar Diya Tha, Maa Baap Ki Aakho Me Udasi Nahi Dekhi Gayee Unse. Jis Gareeb Baap Ke Liye Do Waqt Ki Roti Jutana Mushkil Ho, Woh Betiyo Ka Dahej Kaha Se Juta Payega….
To Dosto Yaaro itna hi bolunga.. Soch badlo Desh badlega.

अरमानो का मोल लगाना बंद करो ,
दहेज़ के लिए लड़का बेचना बंद करों..

Mere sath kuchh din pahle ek Ghanta hui. Mai Apne dosto ke sath ghum rha tha. To ek dost ne bataya ki uska Job ho gya hai. Sun kar bahut khushi hui. But jab usne kha ki mai Dahej me Car lunga.. yaar bahut dukh hua. Maine use Smjhaya but o mujhse hi Jhgar pra.
Dosto Yaaro jab tak hum Young Logo Apna soch nhi badlenge . Tab tak kuchh nhi hoga. Ha kuchh logo ka bolna hai. Ki padhai or job lene me bahut paisa kharch hota hai. Mai manta hu but iska MATLAB ye to nhi ki hum uss paisa ka bhugatan Dahej lekar kare. Aap uss paise ka bhugatan apne Job se bhi kar skte hai.. aisa karne se kisi Garib bap ko fasi nhi lagani pregi. Koi Beti paida hone se nhi Darega. Kisi kishan ko Apni Jamin nhi bechani pregi. Kisi kishan ko Apni Zindgi bhar ki kamai Dusro ko nhi deni padegi.. isiliye Dosto Ab iss Dahej pratha ko Band Kro.

दहेज

दहेज का मतलब किसी चीज की मांग करना या (डिमांड) करने से हैं. दहेज वह चीज है जब वधू – विवाह में अपने पिता के घर से कुछ सामान अपने साथ लेकर आती हैं. वह दहेज़ कहलाती हैं. दहेज़ पिता द्वारा अपनी बेटी को विवाह में अपनी बेटी के वर पक्ष को दिया जाता हैं. दहेज़ का यह खेल प्राचीन काल से चला आ रहा हैं. प्राचीन काल में समाज ठीक था आजकल दहेज एक प्रकार का दहेज लोभियों के लिये एक व्यापार की तरह बन गया हैं.
दहेज प्रथा
प्राचीन समय में लड़की अपने मायके से दहेज में अपने साथ जरुरत की चीजो के साथ – साथ कुछ पालतू जानवर भी लाया करती थीं, जैसे- गाय बैल आदि. आज भारतीय समाज में यह एक सबसे बड़ा कलंक हो गया हैं. यह प्रथा गाँव और शहरों में प्रचलित हैं. आजकल समाज में देखा गया हैं की लड़का अगर अपने दम पर ऊँचे पद पर हैं तो दहेज की डिमांड ज्यादा हो जाती हैं तथा अगर लड़का छोटे पद पर भी हो तो फिर भी दहेज माँगा ही जाता हैं. इससे हम यही कह सकते हैं कि यह विवाह न होकर एक लड़की का सौदा हो रहा हैं.

दहेज – समाज में इसके परिणाम :

आज ये कुप्रथाएं देश के उन्नति के मार्ग पर एक रोड़ा हैं. देश – विदेश में प्राचीन काल से ही लड़की को विवाह में गिप्ट, उपहार आदि दिया जाता था. ऐसा नहीं की वर पक्ष लड़की के माँ – बाप पर कोई दहेज की डिमांड रख दे,
परन्तु आजकल समाज में इसका उल्टा मतलब हो गया हैं. आजकल शादी से पहले सगाई में दुल्हे के पक्ष से शर्त रख दी जाती हैं की दुल्हे को विवाह में क्या-क्या चीजे चाहिए. दहेज़ माँगने के पीछे और भी कारण है जैसे – अगर कोई लड़की दिखने में ठीक ना हो, विकलांग हो, कद छोटा हो, पढ़ी-लिखी नहीं हो तथा और भी कोई कमी जिसमे लड़की के माता-पिता को लड़की की शादी कराने में कोई दिक्कत आती हैं तो वही इसी मौके का फायदा लड़के वाले उठाते हैं और मोटी रकम की डिमांड लड़की वालो के पास रख देते हैं.

जिससे लड़की के माँ-बाप को हताश होकर ज्यादा दहेज देना पडता हैं. आजकल यह भी देखा गया हैं कि लड़की अगर मायके (माँ के घर) से दहेज़ नहीं लाती हैं तो उसे ससुराल में उसका जीना हराम हो जाता हैं. ससुराल में सास, ससुर, नन्द और दुल्हन के पति को भी देखा गया हैं ये सब लोग दुल्हन के ऊपर ताने मारते हैं और उसका ससुराल में रहना मुश्किल कर देते हैं.

आजकल हमने समाज में देखा हैं कि कई जगह तो लड़का खुद लड़की को दहेज ना लाने पर तलाक तक दे देता हैं जिससे लड़की की जिंदगी खराब हो जाती हैं. आज भी भारतीय समाज में सास-बहु का झगड़ा होना आम बात हैं. झगड़े का भी यही माजरा हैं की सास अपनी बहु को बार – बार ताने मारती हैं कि तेरे बाप ने तेरे को क्या दिया. ये लोग समाज में दहेज के लोभी होते हैं. दहेज़ के कारण आज समाज में हत्याकांड हो रहे रहे हैं.

दहेज़ के लोभी यह नहीं मानते की एक तो लड़की के पिता ने अपनी जान से प्यारी लड़की को हमें दिया और ऊपर से उन पर कोई प्रेसर क्यों डाले. इनके लिये लड़की ही दहेज होना चाहिए था लेकिन ये दहेज़ को एक व्यापार और एक सौदा मान बैठे हैं. ये दहेज़ के दानवों को लड़की के साथ – साथ अच्छी संपति चाहिए.

आज समाज में दहेज एक विनाशकारी समस्या बन गई हैं. इसी दहेज के कारण एक – दुसरे के रिश्ते टूट रहे, मार – पिट तथा आत्महत्या हो रहे हैं. जिसका मुख्य कारण विवाह में दी जाने वाली दहेज (संपति) जिम्मेदार हैं. अगर इसी तरह चलता रहा तो समाज का वातावरण के साथ – साथ आने वाले समय में देश को सामाजिक कुरातियों से भी लड़ना पड़ेगा.
सरेआम नीलामी की मौहर लगती हैं लड़के के माथे पर ,
और सीना तान इज्ज़त पाने खड़े हैं लड़की के द्वारे पर..!

हम सभी लोगो को मिलकर समाज की इस बुरी कुरीति से लड़ना चाहिए और ” न दहेज़ देंगे और न दहेज़ लेंगे “ इस विचार को आत्मसात करना चाहिए. जब हम शुरुआत करेंगे तभी परिवर्तन आएगा. यह एक दिन में ठीक नहीं होने वाला. परिवर्तन तभी होगा जब हम सब लोग इसका मिलकर सामना करे और दहेज़ के खिलाफ मिलकर लड़ें. आगे इस लेख को पढ़कर आपके विचारो में कुछ परिवर्तन आया हो तो इस आर्टिकल को दुसरे लोगो के साथ फेसबुक पर जरुर शेयर करे.