फिल्में तो वही हैं जिन्हें देखने के बाद उनकी महक आपके भीतर महीनों महके। उसे याद करने पर एक एक संवाद याद आ जाए, उसकी तरफ बार बार जाने का मन करे। ये कहानी भी इतनी ही सुंदर है। इतनी शांत और सहज कहानी कि मन भर आए । नीरज कबी और शैफाली शाह का इतना प्यारा काम, क्या ही कहा जाए । संवादों को छोड़ भी दें तो शेफाली शाह ने तो आँखों भर से ही कमाल कर दिया। यूँ तो ये कहानी पहले भी कई बार देखी लेकिन वहीं न! कुछ फिल्में मन के इतने भीतर बैठ जाती है कि किसी न किसी दिन भटक के फिर उनके पास पहुँच ही जाते हैं दूसरा ये भी है कि अच्छी कहानियों से कभी मन नहीं भरता। फ़िल्म – वन्स अगेन