स्त्री जन्म नहीं लेती बल्कि बनाई जाती है।
समाज,परंपराएं,धर्म शास्त्र सभी मिलकर स्त्री को बनाते हैं,
और स्त्री का बुनियादी संघर्ष भी यही से शुरू होता है। समाज द्वारा उन पर प्रश्न उठाकर,ये वहीं मान्यताएं जो स्त्री को अपने निर्णय का अधिकार नहीं देती खैर!
महिला दिवस की शुभकामनाएं !
स्त्री जो अपना जीवन सदैव अपनों के लिए निछावर कर देती है।
स्वयं के हित का बाद में, पहले अपनों का हित देखती है, अपने परिवार…अपने चाहने वालों के लिए सभी हद पार कर देती है…हम पुरुष जिस पर अपना प्रभुत्व दिखा कर महान बनने की कोशिश करते है… और बाद में थक हार कर उसी की बाहों में सांस या उसी के आँचल में नींद लेते है… उस नारी को महिला दिवस की शुभकामनाएं.
