
जिससे कुछ कहना है, उसे आप बोल भी नहीं सकते,
और घुटन बढ़ती ही जाती हैं,
फ़िर कुछ समझ ही नहीं आता, क्या किया जाए,
जिसे आप प्यार दिखाना चाहते हैं, वो देखना नहीं चाहता।
आप लाख कोशिश कर लो, खुश रखने की फिर एक आंधी आएगी और आपकी पूरी मेहनत बरबाद कर देगी, और फ़िर शुरूवात वहीं से होगी, जहां से आपने सब कुछ सूरू किया था, और फ़िर वही दर्द, जिससे कुछ कहना हो उसे कुछ कह नहीं सकते क्योंकि वो ख़ुद के दर्द से परेशान हैं , मन में बहुत कुछ होगा, पर कहे किससे, क्योंकि जो सुनने वाला होता हैं वो आपको खुद की बातें नहीं बताता , तो आपके मन में फिर से वही झिझक, क्या बताऊं उसे वो खुद परेशान है, वो कुछ बता ही नहीं रहा तो मै कैसे बता दू,
जैसे ही कुछ करना चाहो उसके लिए, करो ऑर फ़िर वही सब, ।
त्योहार आते , ख़ुशी आती है , पर हमारे लाइफ में ख़ुशी आती ही नहीं, तुम लाख कोशिश कर लो, ये ग़म ख़तम ही नहीं होता, कुछ न कुछ ऐसा होता ही है, जो आपको दर्द दे ही देगा ।