ऐ चांद क्या समां हैं तेरा, कि वो पलकें बिछाए
तेरा इतज़ार कर रही होगी…
और मोहब्बत की नुमाइश ही कुछ ऐसी है कि वो
हाथो में मेहंदी लगा कर अपने साजन का दीदार कर रही होगी ..।
ऐ चांद क्या समां हैं तेरा, कि वो पलकें बिछाए
तेरा इतज़ार कर रही होगी…
और मोहब्बत की नुमाइश ही कुछ ऐसी है कि वो
हाथो में मेहंदी लगा कर अपने साजन का दीदार कर रही होगी ..।