तेरे जिस्म को देख कर ही तुमसे मोहब्बत हुई थी , कबूल करता हूं
पर तेरे सिवा आंखो को किसी पर ठहरने नहीं दिया , ये तुम भी कबूल कर लो !
जिस्म मेरा जब भी मचलता है जिस्म से मिलने को , पर सिर्फ तेरे जिस्म से , कबूल करता हूं
किसी और को तो छूने की भी हसरत नहीं रखता, ये तुम भी कबूल कर लो !
झगड़ा करता हूं , नाराज़ भी हो जाता हूं , पर तुम मना लोगी सिर्फ इसीलिए, कबूल करता हूं
किसी रोज तुम रूठती तो दिल तेरे क़दमों में रखकर माना लूंगा , ये तुम भी कबूल कर लो !
निलेश नासमझ है, थोड़ा नादान है , कबूल करता हूं
बात तेरी खुशी की हुई तो खुद को तुझसे जुदा कर जाऊंगा, ये तुम भी कबूल कर लो ।।।
तेरे जिस्म को देख कर ही तुमसे मोहब्बत हुई थी , कबूल करता हूं
पर तेरे सिवा आंखो को किसी पर ठहरने नहीं दिया , ये तुम भी कबूल कर लो !
दिल से निकली पंक्तियाँ।लाजवाब।👌👌
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THANKS .. Sir
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Beautiful
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