दहेज़ प्रथा अभिशाप (एक सोच)

दहेज़ प्रथा अभिशाप (एक सोच)

बस 20 या 25 लाख ही तो खर्चा आयेगा।
वाह रे दहेज प्रथा ,,समझ नही आता लड़कों को अगर बेचना ही है ,,,तो क्यो ना एक बाज़ार में खड़ा करके बोली लगा दो ।।।।
डॉक्टर 50लाख
इंजीनियर 40लाख
बैंकर 35लाख
वाकी बचे 30लाख
या 20लाख या फिर जितने में सौदा हो जाए। ।।।
छी बेहद शर्मिंदा करने वाली बात है ,, जिस देश को आजाद हुए 70 साल हों चुके है,
उस देश में आज भी कुछ ऐसी प्रथाओं की बजह से, लाखो परिवार या तो दहेज की बजह से ,अपनी सालो से जमा की पूँजी खतम करके जिंदगी भर अपने आप को मुश्किल में डाल लेते है।
या फिर पैदा होने से पहले ही बेटी की हत्या।।
वैसे तो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का कुछ लोग वादा लेकर आगे बढ़ रहे है।
पर दहेज प्रथा को खत्म करने का वादा कोई नही कर सकता। ।।।
लोगो को डर है समाज का,, अरे कौन सा समाज ??
ये वही समाज होता है जो हम और हमारे जैसे लोगो से बनता है।
और तब कहाँ होता है ये समाज,,, जब कोई ना कोई वलि चड़ा रहा होता है ,,, उनकी जो दहेज देने के बाद भी सुरक्षित नही रह पाती।।।
और तब भी कहाँ होता है ये समाज ,,, जब किसी ना किसी परिवार को जरुरत होती है किसी आर्थिक सहायता की??
आर्थिक सहायता का ये मतलब नही की वो उसकोपाले ,, पर हाँ ये जरुर है की ऐसा साधन जरुर बने जिससे उसकी सहायता हों सकें। ।।।
लोग क्या समझते है की क्या आज कल शिक्षा में खर्चा सिर्फ लडके वालो का होता है।।
लड़की वालो का उससे भी ज्यादा होता है।।।
कैसे होता है कब होता है ये सब आज कल हर कोई जनता है।
पर फिर भी दहेज चाईए और जॉब करने वाली लड़की भी।।।😡
सच तो ये है आज भी हम आजाद नही,,, उन रीतियों से ,,रिवाजों से और दिखाबे से।।
अरे जितना पैसा शादी में खर्चा करते हों और दहेज़ देते हो।।
उन पैसो को अपने भविष्य के लिए क्यो नही सुरक्षित करके रख सकते।
जो हो रहा है गलत हों रहा है ,,, जानती हूँ की अकेले कुछ नही कर सकती। ।
पर इतना जानती हूँ की ,,,खुद एक नई शुरूआत कर सकती हूँ। ।।जनाब 20या 25लाख सिर्फ नही होते,,, और अगर सिर्फ लगते है ना ,,,तो खुद कमाना और खर्च करना अपनी बेटी की पढ़ाई में ,,,, फिर देखना कसम से सारी दुनिया कदमों में नज़र आएगी । ।।
बस रोकता हूँ अपनी कलम को,,, जानता हूँ बहुत लोग मेरी बात से सहमत नही होंगे। । पर कुछ तो होंगे। ।।
मेरा मकसद किसी की भावनाओ को ठेस पहुचाना नही,, माफ करना अगर कुछ गलत लिखा हो। पर एक बार सोच कर तो देखो।। कितने सालो बाद भी हम आज़ाद नही ऐसी अनसमझी प्रथाओं से।। 😐

इस पोस्ट में व्यक्त की गई राय मेरे व्यक्तिगत विचार हैं। जरूरी नहीं कि वे विचार या राय सभी से मिले ।

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5 thoughts on “दहेज़ प्रथा अभिशाप (एक सोच)

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