आखरी लब्ज

Friends – you must read my Sayri.. ( आखरी लब्ज )

दफन हो जाएगी अब मेरे साथ मोहब्त भी मेरी
मलाल ये रहेगा कुछ अल्फ़ाज़ों को आवाज न मिल सकी
जनता हूँ रहेगा सक तुम्हे ताउम्र मेरी मोहब्त पे
और सच ये भी है कि तुम्हे मिल न सकेगा पैगाम भी मेरी मौत का ,
तुमसे उलझनों के बाद, था मैं एक रोज तुम्हारे शहर में
पर तुम्हारी नाराज़गी और मेरे उसूलों से समझौता न कर सका .
जनता हूँ तुम्हे यकीं नहीं होगा, पर कभी पढ़ना गौर से पुराने किस्से हमारी मोहब्बत के
शायद तुम्हे यकीं हो जिस सख्स ने जान गवा दी तुम्हारे खातिर,
वो शायद इतनी भी नफरत का हक़दार नहीं था ,
कुछ रोज बाद गिरेगा पर्दा और कुछ किस्से साफ होंगे
पर ये माकूल सख्स तुम्हारे बगैर उसका इंतज़ार भी न कर सकेगा
तब तुम्हे यकीं तो हो जायेगा, न मेरी मोहब्बत न मेरे वादे फरेब थे .
जायेगा सिर्फ “एक इल्जाम” मेरे साथ मेरे सनम
जिसे कभी मैं तुम्हे खोने के डर से, कभी न कह सका
तुम्हे मोहब्बत में खुदा मैंने खुद किया है ,
अब तुम माफ़ कहाँ करोगी ,
खैर छोडो रहने दो जाने दो ,
लिख रहा हूँ ये पैगाम आखरी साँस, और साँस थमने के बीच
और मोहब्त कि ये सजा देखो, करीब मेरे कोई अपना भी नहीं
छोडो तुम जाने देना, और ये यकीं रखना कि
हर सख्स नहीं होता मुझसा बेगैरत इस जहाँ में
अब तुम किसी और कि वफ़ा में, अपनी ज़िंदगी सवार लेना……………!!
#Nilesh

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