(Suno Jaan)
Ab Fark Nahi Padta Part – 2
बात ऐसी है की इश्क तो जरूर होता है,
लेकिन इश्क में कटता भी सबका है।
Ek Vaqt Tha Jab Tujhse Beintiha Pyar Karta Tha
एक वक़्त था जब तुझसे बेइंतिहा प्यार करता था,
अब तो तू खुद मोहब्बत बन चली आये फर्क नहीं पड़ता।
अब तो तू खुद मोहब्बत बन चली आये फर्क नहीं पड़ता,
एक वक़्त था जब तेरी परवाह करता था।
अब तू मेरी खातिर फ़ना भी हो जाये फर्क नही पड़ता,
Ek Vaqt Tha Jab Tujhse Beintiha Pyar Karta Tha
अब क्या है social media का जमाना है और social media की relievence,
आज कल के प्यार-मोहब्बत में बहुत ज्यादा है।
तो उसे आज की जो 21 वी सदी की जो शेरो शायरी है उसमे दर्ज करना बेहद जरूरी है,
की एक वक़्त था जब तेरी id के नजाने कितने चक्कर लगाता था।
actually होता ऐसे है की ब्रेकअप के बाद कुछ भी पोस्ट डालती है,
तो हमें ऐसा लगता है वो हमारे ऊपर है even ये होता है कि-
जिसका दूर दूर तक कोई रिश्ता नही होता हम मतलब निकाल लेते है।
even वो कुत्ते की भी फोटो लगाती है तो हमें ऐसा लगता है हमारे उपर है यार,
कुत्ते की फोटो में तो जरुर लगता है।
एक वक़्त था जब तेरी id के नजाने कितने चक्कर लगाता था,
तेरी हर पोस्ट तेरे हर status के मायने निकला करता था।
एक वक्त था जब तेरी id के न जाने कितने चक्कर लगाता था,
तेरे हर पोस्ट के हर status के मायने निकाला करता था लेकिन
अब सुन ले , अब सुन ले
जब तूने मुसलसल खेला है Block और Unblock का खेल मेरे साथ,
जब तूने मुसलसल खेला है Block और Unblock का खेल मेरे साथ,
जा मेरी id ता जिन्दगी तेरी Blocklist में रख ले, मुझे फ़र्क नहीं पड़ता।
Ek Vaqt Tha Jab Tujhse Beintiha Pyar Karta Tha
जा मेरी id ता जिन्दगी तेरी Blocklist में रख ले, मुझे फ़र्क नहीं पड़ता
याद कर वो वक्त जब तेरी Dp देखकर ही ,
मेरे धडकने तेज हो जाया करती थी !
याद कर वो वक्त जब तेरी Dp देखकर ही ,
मेरे धडकने तेज हो जाया करती थी !
और अब तू किसी रह गुजर पे बिलकुल करीब से गुजर जाये तो फर्क नही पड़ता।
Ek Vaqt Tha Jab Tujhse Beintiha Pyar Karta Tha
एक वक़्त था जब तुझे तकलीफ में देखकर आँखे मेरी भर आया करती थी।
तुझे जो कोई खरोच भी आ जाये तो मेरी साँस अटक जाया करती थी।
तुझे जो कोई खरोच भी आ जाये तो मेरी साँस अटक जाया करती थी।
लेकिन अब सुनले की अब तो बेफिक्री का सुरूर है मुझपे कुछ ऐसा, कि कम्बख्त तेरी सांसे भी थम जाये तो मुझे फर्क नही पड़ता।
Ek Vaqt Tha Jab Tujhse Beintiha Pyar Karta Tha
हाँ तेरा कहना भी वाजिब है कि इसे इश्क नही कहते,
जो ये कविता सुन कर एक बेवफा को मेरी मोहब्बत पर शक हो जाये तो मुझे फर्क नही पड़ता।
एक वक़्त था जब तेरे तोरे इश्क की मिशाले दिया करता था।
प्यार-मोहब्बत के मायनो में बस कसमे वादे लिखा करता था।
अरे क्या कमाल हस्र किया है तूने वाफादाराने उल्फत का,
कि अब ये सारा का सारा शहर बेवफा हो जाये मुझे फर्क नही पड़ता।
हा माना की तेरी खूबसूरती मशहूर है दुनिया जहा में और इस कविता से तेरी बेवफाई के चर्चे हो जाये तो मुझे फर्क नही पड़ता।
Ek Vaqt Tha Jab Tujhse Beintiha Pyar Karta Tha
एक वक्त था जब तेरी एक झलक पाने को तरसजाया करता था,
तू जिस कोने से नजर आती है मै वहीं बस ठहर जाया करता था,
अरे बिठा रखा था जो मुद्दतों से इन पलको पे मैने,
उसूलों से तो गिर गयी है अब नजरों से गिर जाये तो फर्क नहीं पड़ता।
बदसीरत हो गर तो फजूल है ये खूबसूरती तुम्हारी,
फिर भले खुदा तुम्हें हसी चेहरे बख्श जाये तो फर्क नहीं पड़ता।
एक वक्त था जब तुझे शहरों-शाम बैठकर मनाया करता था।
गुस्ताखियाँ तेरी हुआ करती थी और दरख्वास्ते मैं किया करता था।
तेरे उस बेवजह रूठने को मनाया है न जाने कितनी दफा,
कि भले ही पूरी की पूरी कायनात खफा हो जाये मुझे फर्क नही पड़ता।
अरे जो मेरी न हो सकी वो उसकी क्या होगी,
अब भले कुछ वक्त के लिए किसी गैर का दिल बहल जाये तो फर्क नही पड़ता।
Ek Vaqt Tha Jab Tujhse Beintiha Pyar Karta Tha
एक वक्त था जब तेरी महक पाने को तू जहाँ से गुजरती थी।
मै वहाँ से गुजरता था जो हवा तुझे छूती है,
वो मुझे छू जायेगी इस भरोसे से चलता था।
लेकिन अब सुन ले कि अब तो सूफी हूँ की खुशबू है खुद की मेरी साँसों में,
अब तो भले तू इस हवा में भी घुल जाये तो मुझे फर्क नहीं पड़ता।
कि जब से मिट्टी होना पसन्द आया है मुझकों जय को,
फिर भले महलो मे आशियां हो जाए तो फर्क नही पड़ता।
खैर न अब तुझसे नफरत है, न मोहब्बत है कोई गिला-सिकवा नही है।
न कुछ अनसुना है न अनकहा है बचा कोई सिलसिला नहीं है।
महज इन कविताओं में जिक्र बचा है तेरा और सुन ले,
कि इतना ताल्लुक भी मिट जाये फर्क नहीं पड़ता।
राबदा न हो बेवफाओं से तो ही बेहतर है मेरे यार सब सुन लेना,
फिर रिश्ता भले काफिर दिलों से हो जाये तो फर्क नही पड़ता।
Ek Vaqt Tha Jab Tujhse Beintiha Pyar Karta Tha
#Nilesh
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